गाजियाबाद : चुनाव ड्यूटी कटवाने आए सफाई कर्मी की कलक्ट्रेट में मौत, बीमारी का सबूत दिखाने के लिए था बुलाया
गाजियाबाद कलक्ट्रेट में सोमवार को सिस्टम की संवेदनहीनता देखने को मिली। अधिकारियों ने करीब दो माह से चिकित्सा अवकाश पर चल रहे नगर निगम के सफाई कर्मचारी मलखान सिंह (59) की चुनाव में ड्यूटी लगा दी। परिजनों ने ड्यूटी काटने की गुहार लगाई, लेकिन अफसरों ने यकीन नहीं किया और बीमारी का सुबूत दिखाने को कलक्ट्रेट बुला लिया। कर्मचारी को ऑटो में लेकर परिजन कलक्ट्रेट पहुंचे। वहां परिजन एक अधिकारी से दूसरे अधिकारी के चक्कर काटते रहे, लेकिन किसी को दया नहीं आई। करीब दो घंटे इंतजार के बाद कर्मचारी ने ऑटो में ही दम तोड़ दिया।
गाजियाबाद कलक्ट्रेट में सोमवार को सिस्टम की संवेदनहीनता देखने को मिली। अधिकारियों ने करीब दो माह से चिकित्सा अवकाश पर चल रहे नगर निगम के सफाई कर्मचारी मलखान सिंह (59) की चुनाव में ड्यूटी लगा दी।
परिजनों ने बीमार कर्मचारी के फोटो-वीडियो दिखाकर ड्यूटी काटने की गुहार लगाई, लेकिन अफसरों ने यकीन नहीं किया और बीमारी का सुबूत दिखाने को कलक्ट्रेट बुला लिया। कर्मचारी को ऑटो में लेकर परिजन कलक्ट्रेट पहुंचे। वहां परिजन एक अधिकारी से दूसरे अधिकारी के चक्कर काटते रहे, लेकिन किसी को दया नहीं आई।
करीब दो घंटे इंतजार के बाद कर्मचारी ने ऑटो में ही दम तोड़ दिया। परिजनों ने अफसरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने परिजनों को समझा-बुझाकर शांत किया।
गांव रईसपुर निवासी मलखान सिंह नगर निगम में सफाई कर्मचारी हैं। उनकी ड्यूटी राजनगर वार्ड-24 में चल रही थी। पैरों में घाव के अलावा वह दिल और सांस के रोगी भी थे। वह करीब दो माह पहले दिल्ली स्थित राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में भर्ती हुए।
कई दिन वहां भर्ती रहने के बाद करीब एक माह पहले डॉक्टरों ने उन्हें डिस्चार्ज कर घर भेज दिया और दवाइयां जारी रखीं। मलखान सिंह के बेटे विक्की का कहना है कि कुछ दिन पहले उन्हें पता चला कि उनके पिता मलखान की चुनाव में ड्यूटी लगा दी गई है। उनके पिता ड्यूटी करना तो दूर, चलने-फिरने में भी अक्षम थे, लिहाजा वह उनकी चुनाव ड्यूटी कटवाने की कोशिश में जुट गए।
इलाज के दस्तावेज, फोटो-वीडियो भी नहीं माने
नगर निगम के सुपरवाइजर रतेंद्र सिंह ने बताया कि उन्होंने मलखान सिंह की पत्नी के साथ जाकर अधिकारियों को मलखान सिंह की बीमारी के दस्तावेज दिखाए। इतना ही नहीं, उनके पैरों के घाव व शारीरिक स्थिति बयां करती फोटो व वीडियो भी दिखाई, लेकिन अधिकारी नहीं माने। आरोप है कि अधिकारियों ने फरमान सुना दिया कि मलखान को साथ लाना पड़़ेगा। उसे देखने के बाद ही वह कुछ कह सकेंगे।
एक के बाद दूसरे अधिकारी के यहां भेजते रहे, किसी ने नहीं सुनी
सुपरवाइजर रतेंद्र सिंह का कहना है कि वह मलखान सिंह के परिजनों के साथ मलखान सिंह को ऑटो में लेकर कलक्ट्रेट पहुंचे। वहां पहले डीएम ऑफिस गए तो एडीएम ऑफिस भेज दिया गया। एडीएम ऑफिस जाने पर सीडीओ के पास भेज दिया गया। वहां गए तो जिला ग्रामीण विकास अभिकरण विभाग में पीडी (परियोजना निदेशक) के दफ्तर में भेज दिया गया। वहां कर्मचारियों ने अधिकारी के आने का इंतजार करने को कहा। रतेंद्र सिंह का कहना है कि वह मलखान सिंह के परिजनों के साथ ऑटो के पास पहुंचे तो मलखान सिंह की मौत हो चुकी थी।
संवेदनहीनता का आरोप लगा परिजनों ने किया हंगामा
अधिकारियों पर संवेदनहीनता का आरोप लगाते हुए मलखान सिंह के परिजनों ने हंगामा किया। उन्होंने कहा कि चिकित्सा अवकाश पर चल रहे व्यक्ति की चुनाव ड्यूटी लगाकर लापरवाही बरती गई और फिर बीमारी का सुबूत दिखाने के लिए कर्मचारी को कलक्ट्रेट बुलाकर संवेदनहीनता दिखाई गई। हंगामे की सूचना पर कविनगर पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को समझा-बुझाकर शांत किया।
परिजन बोले- अंतिम संस्कार के बाद देंगे तहरीर
घटना के बाद परिजनों ने देरशाम मलखान सिंह का अतिम संस्कार कर दिया। उनका आरोप है कि मलखान सिंह की हालत गंभीर थी। इसके बावजूद उन्हें कलक्ट्रेट बुलाया गया। परिजन एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर में चक्कर काटते रहे। इस दौरान मलखान सिंह की तबीयत खराब हो गई और इलाज के अभाव में उनकी मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि अंतिम संस्कार व अन्य रस्म क्रिया के बाद वह पुलिस में तहरीर देंगे।
ड्यूटी कटवाने के लिए परिजन सफाई कर्मचारी को ऑटो में कलक्ट्रेट लाए थे। कर्मचारी पहले से बीमार था, जिसके चलते उसकी मौत हो गई। परिजन शव को साथ ले गए। उन्होंने घटना के संबंध में कोई तहरीर नहीं दी है। -अजय कुमार सिंह, एसएचओ कविनगर