उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक बनने के इंतजार में तकरीबन छह हजार युवा तीन साल से हैं। 12460 शिक्षक भर्ती में शून्य जनपद का विवाद सुलझ नहीं पा रहा। तीन साल से कोर्ट में सिर्फ तारीख मिल रही है। 15 दिसंबर 2016 को शुरू हुई 12460 भर्ती के विज्ञापन में प्रदेश के 75 में से 24 जिलों में एक भी पद रिक्त नहीं था। इन 24 जिलों के अभ्यर्थियों को किसी एक अन्य जनपद में आवेदन की छूट थी। 16 मार्च 2017 को पहली काउंसिलिंग हुई लेकिन सरकार बदलने के बाद नई सरकार ने 23 मार्च 2017 को भर्ती पर रोक लगा दी।
16 अप्रैल 2018 को मुख्यमंत्री ने भर्ती शुरू करने की अनुमति दी। 23 अप्रैल 2018 को फिर चयनितों की काउंसिलिंग हुई। लेकिन 18 अप्रैल 2018 को हाईकोर्ट ने 24 शून्य जनपद के चयनितों को नियुक्ति पत्र देने पर रोक लगा दी। एक मई 2018 को मुख्यमंत्री ने 51 जिले के लगभग 6512 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिया। लेकिन 5948 चयनितों की नियुक्ति फंस गई। उसके बाद हाईकोर्ट ने एक नवंबर को नियम के अनुसार भर्ती के आदेश दिए। इसके खिलाफ सरकार ने 22 नवंबर 2018 को डबल बेंच में अपील की।
नियुक्ति का इंतजार कर रहे गोंडा के मोहित द्विवेदी और फर्रुखाबाद के अंकित राजपूत का कहना है कि अब तक डेढ़ दर्जन बार तारीख लग चुकी है लेकिन पैरवी करने सरकारी अधिवक्ता नहीं पहुंचे। 14 सितंबर को भी सुनवाई होनी थी लेकिन अगली तारीख लग गई। - @livehindustsan