जालौन। निपुण भारत मिशन के अंतर्गत ब्लाक संसाधन केंद्र भिटारा में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में संदर्भदाता आलोक खरे ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र पर पहुंचने वाले बच्चे लगभग 6 वर्ष की उम्र में स्कूल में प्रवेश करते हैं। आंगनबाड़ी केंद्र में कोई बंधन न होने के बाद जब स्कूल पहुंचने पर बच्चे स्वयं को सहज महसूस नहीं कर पाते हैं। यही कारण होता है बच्चे स्कूल आने से कतराने लगते हैं।
संदर्भदाता सौरभ खरे ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र से स्कूल पहुंचने वालों बच्चों को पहली प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि वह उन्हें ऐसा माहौल दिया जाए, जिसमें वह स्वयं को सहज महसूस कर सकें।
रेवती रमन द्विवेदी ने कहा कि एकदम से बच्चों पर स्कूली कार्य का बोझ न डालकर उन्हें पढ़ने के लिए तैयार करें। पहले उन्हें खेल खेल में ही शिक्षा दी जाए। सहपाठियों से उनका परिचय कराया जाए ऐसे क्रिया कलापों से बच्चों के मन से स्कूल का डर निकाला जा सकता है। अंतिम सत्र में पहुंचे जिला विद्यालय निरीक्षक प्रेमचंद्र यादव ने कहा कि अध्यापक एवं आंगनबाड़ी के बीच सामंजस्य एवं अध्यापक और अभिभावक के बीच भी विस्तृत चर्चा और सामंजस्य जरूरी है। (संवाद)