लक्ष्मीपुर। बच्चों को स्वेटर, जूता मोजा, ड्रेस खरीदने के लिए अभिभावकों के खाते में रकम भेजने का निर्देश है। लेकिन, इस दिशा में जिम्मेदार गंभीर नहीं दिख रहे हैं। यही वजह कि लक्ष्मीपुर ब्लॉक के 12874 अभिभावकों के खाते में रकम नहीं पहुंची है जिससे बच्चों के लिए ड्रेस जूते मोजे नहीं खरीदे जा सके।
नवंबर बीतने को है। ठंड का असर धीरे-धीरे बढ़ रहा है। ठंड में बिना स्वेटर के ही स्कूल जाने को मजबूर हैं लक्ष्मीपुर ब्लॉक में कक्षा 1 से 8 तक 28955 बच्चे पंजीकृत हैं जिनके अभिभावकों के खाते व आधार की ऑनलाइन फीडिंग शिक्षकों ने डीबीटी पोर्टल पर कर दिया है। उसमें से 16081 अभिभावकों के खाते में धनराशि पहुंच गई, लेकिन 12874 अभिभावकों के खाते में धनराशि नहीं पहुंच पाई।
फीसदी अभिभावकों के बैंक खातों में धनराशि ही नहीं पहुंच पाई है। शासन द्वारा परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों को प्रतिवर्ष निशुल्क मिलने वाले यूनिफॉर्म, स्वेटर, जूता, मोजा व बैग की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए अभिभावकों के खाते में 1100 रुपये धनराशि भेजने की डीबीटी सिस्टम जिम्मेदारों के लिए मुसीबत खड़ा दिया है। कर अभिभावक, शिक्षक, छात्र मुश्किल में पड़ गए हैं। सब अभिभावक पंकज, नागेन्द्र, जनार्दन, उमाशंकर, राधेश्याम, राकेश आदि ने कहा कि उनके खाते में धनराशि नहीं आने से बच्चे ठंडक में बगैर स्वेटर, जूते मोजे के ही स्कूल रहे हैं। शिक्षक विकास नारायण मिश्र, जितेंद्र गौड़, सच्चिदानंद मिश्र, सुनील कुमार श्रीवास्तव, चन्द्र प्रकाश प्रकाश आदि ने बताया कि डीबीटी पोर्टल पर अभिभावकों के बैंक, आधार डिटेल की फीडिंग कर दिया गया है।
लेकिन कुछ अभिभावकों के खाते अपडेट नहीं हैं। शिक्षक गांव में भ्रमण कर अभिभावकों को प्रेरित कर रहे हैं कि बैंक खाते को अपडेट करा लें।
केवल उन्हीं अभिभावकों के खाते में धनराशि नहीं जा पाई है जिनके बैंक खाते आधार से लिंक नहीं हैं या बैंक से जमा निकासी किए ज्यादा हो गए हैं
- हेमंत कुमार, बीईओ
डीबीटी सिस्टम शिक्षकों के लिए मुसीबत बन गई है। जिन अभिभावकों के खाते में स्कम नहीं पहुंच पाई है वे सब रोज स्कूल में आकर पूछते हैं कि कब धनराशि आएगी। जबकि जिनके खाते में रकम पहुंच गई है बार आर कहने के बाद भी वे बच्चों लिए ड्रेस, स्वेटर आदि खरीद ही नहीं रहे हैं।
विचित्र मणि त्रिपाठी, ब्लॉक अध्यक्ष
