15 अगस्त 1947 से अब तक का सफर का मूल्यांकन
15 अगस्त 1947 से अब तक का सफर का मूल्यांकन, अभी की समस्याएं और भविष्य के लिए तर्कसंगत लक्ष्यः हर साल हम लोग करते है और फिर बाद उसी पुराने ढर्रे पर चलने लगते है। कुछ दिनों
भारतीय नागरिक की दृष्टि से 15 अगस्त की तिथि क्यों खास है? हम सब जानते ही है कि इसी दिन हमारा देश अंग्रेजों के चुंगल से आजाद हो गया था। लेकिन इस दिन हम सबको राजनीतिक आजादी मिली थी सामान्य शब्दों में देश की सरकार देशी हो गई थी। इसी दिन से हमारी सरकारों ने आर्थिक और सामाजिक न्याय के लिए प्रयास करने शुरू किए जो अभी तक जारी है। आर्थिक न्याय की बात की जाए तो इसका अर्थ है कि देश के हर नागरिक की आर्थिक स्थिति ऐसी हो कि वह गरिमा पूर्ण जीवन की आवश्यकताएं पूर्ण करने में सक्षम हो। क्या देश के हर नागरिक का यह कर्तव्य नहीं है कि इसे प्राप्त करने में हम सब व्यक्तिगत प्रयास करें। जब भी निम्न आर्थिक वर्ग के व्यक्ति से कोई सक्षम व्यक्ति सेवा प्राप्त करें तो सदैव इस बात का ध्यान रखें कि क्या आप उचित भुगतान कर रहे है? कहीं आप उसकी मजबूरी का फायदा तो नहीं उठा रहे है? क्योंकि देश में बड़े स्तर पर बेरोजगारी की समस्या होने के कारण मजबूरी में लोग कम भुगतान पर सेवा देने के लिए तैयार हो जाते है। आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि जो भुगतान आप कर रहे है उसी से उस कामगार का घर चलेगा। आपके दिए पैसे से ही उसके बूढ़े माता पिता की दवाई, बच्चों की पढ़ाई, पूरे घर का खाना और कपड़ा जैसी मूलभूत आवश्यकताएं पूरी होंगी। व्यक्ति को प्राप्त पारिश्रमिक इतना तो होना ही चाहिए कि घर वालों की मूलभूत जरूरतें पूरी हो सके। इस स्वतंत्रता दिवस हम सब को प्रण लेना होगा कि किसी का आर्थिक शोषण नहीं करेंगे। इस सृष्टि में जितने भी इंसान है वो सब एक से है चाहे उनका रंग, रूप, जाति, धर्म आदि अलग ही क्यों ना हो। आजादी के इतने सालों के बाद भी हम सब आपस में कितने बटे हुए हैं। यह सही है कि अंग्रेजों ने शासन करने के लिए फूट डालो और राज करो की नीति के तहत भारतीयों में वैमनस्य के बीज बो दिए थे। लेकिन आजादी के इतने सालों के बाद भी उन वैमनस्य के बीजों का पल्लवन आजादी के सपनों की हत्या के समान है। एक सभ्य और सुंदर समाज में मतभेद होना स्वाभाविक है। मतभेदों को स्वीकार कर आपस में सहिष्णुता और सामंजस्य के साथ रहना पूरे देश के साथ-साथ व्यक्तिगत लाभ भी है। स्वतंत्रता दिवस के माह में भारत के अलग-अलग हिस्सों में जो दंगे हो रहे हैं वह महान भारत की परंपरा के पूर्णतया प्रतिकूल है। मणिपुर की घटना भारतमाता के चीरहरण सदृश्य है। इस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हम सबको प्रण लेना है कि हम आपस के मतभेदों को भुलाकर एक साझी पहचान भारतीयता को अंगीकार करेंगे और आपसी मतभेदों के किसी भी स्तर पर हिंसा का ना तो प्रयोग करेंगे और ना ही किसी भी प्रकार से समर्थन एक सुंदर देश के निर्माण में उसके हर नागरिक का सहयोग अपरिहार्य है। आपके छोटे-छोटे प्रयासों से राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रभाव दिखाई देते हैं। जैसे कि प्रतिदिन सिर्फ एक बाल्टी पानी से नहाकर आप पूरे राष्ट्र को भावी जल संकट से बचा रहे हैं जो भूजल का संरक्षण कर कृषि और वनसंपदा को पल्लवित करेगा। इसी प्रकार यदि आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं तो भी आप इस देश में स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को कम करते हुए एक सशक्त मानव संपदा बनकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे रहे हैं। यदि आप पीने के लिए अपनी बोतल घर से लेकर चलते हैं तो भी आप प्लास्टिक कचरे की विकट समस्या से लड़ने में अहम योगदान दे रहे हैं जिससे पर्यावरण संरक्षित होगा और राष्ट्र को और उसके नागरिकों को बहुआयामी दीर्घकालि लाभ प्राप्त होंगे। इसलिए इस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रसन्न होने के साथ-साथ जब अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर तिरंगा के साथ अपनी फोटो डालें तो उसके साथ मन ही मन कुछ प्रण भी ले जो समाज में सकारात्मक योगदान कर सकें। इसी में इस महान राष्ट्र के स्वतंत्रता दिवस के आयोजन की सार्थकता है, जिससे समाज के सबसे पीछे खड़े व्यक्ति के लिए राजनीतिक के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक स्वतंत्रता भी सच्चे अर्थों में प्राप्त हो। जय हिंद।

