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Tuesday, September 5, 2023

आसिया ने शिक्षिका नहीं, बल्कि छात्रों को 'मां' बनकर पढ़ाया

 प्राथमिक विद्यालय अस्ती, जहां कभी महज आठ बच्चे पढ़ने आते थे, वर्तमान में 253 छात्र-छात्राएं पढ़ रहे है। यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि एकल शिक्षक आलिया फारुक को कड़ी मेहनत और शिक्षण में नवाचार का प्रयोग करने की वजह से संभव हो सका। अपने इन्हीं अथक प्रयासों के चलते उन्होंने राष्ट्रपति पुरस्कार की सूची में खुद को शामिल कर लिया। एकल शिक्षक होने के बावजूद उन्होंने पर नहीं मानी। उन्होंने मां को तरा बच्चों को पढ़ाया। साथ ही अन्य विकल्प तलाश कर कदम बढ़ाए और अपने जैसे दूसरे शिक्षकों के लिए प्रेरणा बन गई।



आसिया बताती है कि वर्ष 2009 में यह हथगाम ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय बुशहरा में सहायक अध्यापक बनीं। वर्ष 2016 में नगर क्षेत्र के अस्तो प्राथमिक विद्यालय में बतौर प्रधानाध्यापिका कार्यभार ग्रहण किया। विद्यालय में महज आठ छात्र थे। सबसे पहले उन्होंने विद्यालय भवन का कल्प करने की ठानी।


अभिभावकों और अधिकारियों से सोच संवाद किया, ताकि लोग अपने बच्चों को विद्यालय भेजें। उन्होंने गांव के हर घर की दौड़ी नापी खेल- खेल में शिक्षा और नवाचार पद्धतिया अपनाई। उन्होंने रुचिकर कहानिय और खेल प्रतियोगिताओं को दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाया। वह कहती है कि विद्यालय में शिक्षिका नहीं बल्कि की भूमिका करती हैं। स्थिति यह है कि छात्र- छात्राएं यह बात भी बता देते है अपने माता-पिता को नहीं बताते। विभिन्न शैक्षणिक और अना गतिविधियों में अपनी जेब से पै खर्च करती है। प्रत्येक छात्र और छात्राओं को डायरी व विभिन्न उत्सवों के लिए यूनिफार्म देती हैं।


प्रोत्साहन के लिए प्रतियोगिताओं में निर्धारित पुरस्कार भी रखती हैं, इससे बच्चे वह चढ़कर हिस्सा लेते हैं। कक्षा पांच में पहला स्थान लाने वाले बच्चे को साइकिल उपहार में देती है। ऐसी स्थिति में सभी छात्र पूरे मनोयोग से पढ़ाई करते हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रतिभाग की तैयारी करवाती है तो सीन आमी का गठन करके राष्ट्रीय पर्व पर देशभक्ति के कार्यक्रम कराती हैं। वह बताती हैं कि विद्यालय के कायाकल्प और किचेन गान से लहलहाती बगिया में अब 253 छात्र और छात्राएं शिक्षा पा रहे हैं। जनजुड़ाव के लिए महिला सशक्तीकरण पर काम किया। महिलाओं को रोजगारपरक बनाने के लिए कोरोना काल के अंतिम समय सिलाई, कढ़ाई, जरदोजी व कटिंग का निशुल्क प्रशिक्षण दिलवाया आसिया ने बताया कि राष्ट्रपति से पुरस्कार पाने के लिए वह दिल्ली पहुंच चुकी हैं।


अब तक मिले पुरस्कार 

राज्यपाल शिक्षक पुरस्कार- 2019, राज्य मिशनशक्ति पुरस्कार 2021, बेस्ट इनोवेटिव टीचर्स अवार्ड, कई बार जनपद स्तरीय आदर्श शिक्षक, आदर्श विद्यालय, जीरो इन्वेस्टमेंट टीएलएम, एडुस्टाफ मिशन शिक्षण संवाद द्वारा राज्य स्तरीय, विभिन्न साहित्यिक एवं शैक्षिक मंच द्वारा कई पुरस्कार

आसिया ने शिक्षिका नहीं, बल्कि छात्रों को 'मां' बनकर पढ़ाया Rating: 4.5 Diposkan Oleh: Updatemarts

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