Transfer case ~
दोबारा ट्रांसफ़र को लेकर एक केस हुआ था दिव्या गोस्वामी का जिसमें हाई कोर्ट ने शादी के बाद भी ट्रांसफ़र को लेकर महिला वर्ग को राहत दी थी, उसी को लेकर कुछ लोग खंडपीठ इलाहाबाद में गए थे जहाँ से उन्हें राहत मिली थी क्योंकि एक केस में राहत दे देना और वही पुरुषों को राहत न देना मौलिक अधिकारो का हनन है ।
govt order 2019 वाला और एकल पीठ के न्यायाधीश द्वारा दिये गए निर्णय में खंडपीठ ने RULE 21 of rules of 1981 जो कि बाद में RULE 8 (2) d of rules 2008 में जो प्रावधान निहित हैं उनमे कहीं भी ट्रांसफ़र के लिए पुनः आवेदन को नहीं रोकने की बात है जिसके अनुसार कोई भी अभ्यर्थी अब दोबारा आवेदन भी कर सकता है।
खंडपीठ के आदेश के विरुद्ध सरकार मा० सर्वोच्च न्यायालय गई जहाँ उसकी विशेष अनुज्ञा याचिका को ख़ारिज कर दिया गया है। कुल मिलाकर जब भी सरकार ट्रांसफ़र करे तो ट्रांसफ़र के लिए कोई भी कभी आवेदन कर सकता है चाहे दूसरी बार ही क्यों हो।
शून्य जनपद वाले केस में मैं सबको यही समझा रहा था कि आवेदन का कोई फ़र्क़ नही पड़ेगा ये हमारे मौलिक अधिकारो का हनन है इसलिए इस बात को दरकीनार करके आप लोग याचिका में जुड़े सकते हैं लेकिन कुछ अल्प बुद्धि वाले इस बात को समझ नहीं रहे थे ख़ैर अब केस और मज़बूत हो गया है जगह भी है इन्हें कोर्ट से मुँह की खाने की आदत भी है तो जब भी निर्णय होगा हमारे पक्ष में ही होगा।
धन्यवाद
हिमांशु राणा
#rana

