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Wednesday, April 3, 2024

Primary ka master: कागज की कीमत 33% घटी, पर स्टेशनरी डेढ़ गुना महंगी बिक रही

 लखनऊ। दो साल पहले 100 रुपये प्रति किलो बिकने वाले कागज के दाम 33 फीसदी घटकर 67 रुपये तक आ चुके हैं। प्लास्टिक, दोने और अन्य उपयोगी चीजों के दाम भी 20 फीसदी घट चुके हैं। इसके बावजूद निजी स्कूलों के नामित पुस्तक विक्रेता कॉपी-किताबों के साथ स्टेशनरी, बैग, टिफिन, बॉटल, लंच बॉक्स तक डेढ़ गुना अधिक प्रिंट रेट पर बेच रहे हैं। इसके चलते राहत तो दूर्र नए सत्र में अभिभावकों पर प्रति बच्चा 600 से दो हजार रुपये तक अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है।



60 वाला रजिस्टर 80 में बेच रहे




अमीनाबाद बाजार में जो रजिस्टर 80 रुपये में मिल रहा है। उसके निजी स्कूलों के नामित पुस्तक विक्रेता 80 रुपये अभिभावकों से वसूल रहे हैं। जो कॉपी 40 रुपये मिल रही है उसके 50 रुपये ले रहे हैं। 30 से 40 रुपये वाली रफ कापी 40 से 50 रुपये में दे रहे हैं। मुनाफे के लिए कापियों और रजिस्टर के पेज कम और आकार छोटा कर दिया है। 20 से 30 रुपये वाली कापियां 30 से 40 रुपये में बेच रहे हैं।




500 की टिफिन, 15सौ में बेच रहे बैग: स्कूल बैग, टिफिन, कलर, वाटर वोटल की कीमतें 50 से 150 रुपये बढ़ गईं। पुस्तक और यूनीफार्म विक्रेता नर्सरी के बच्चों के स्कूल बैग 500 से 750 रुपये में बेच रहे थे। बीते साल 600 के भीतर था। बड़े बच्चों के बैग में एक हजार से 1500 रुपये में दे रहे हैं। छोटे बच्चों के लंच वाले टिफिन के 200 से 500 रुपये ले रहे हैं।


कलर में 10 से 50 रुपये बढ़ाए हैं। पेंसिल, रबर,पेन, चार्ट पेपर अन्य सामाग्री में एक से दो रुपए बढ़ाकर बेच रहे हैं। इन चीजों की खरीद पर अभिभावकों की जेब पर प्रति बच्चा 200 से 500 रुपए का खर्च बढ़ा है।




सभी शिक्षा बोर्डों की किताबें एक समान होनी चाहिए: आईआईए इंडियन इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) मनीष गोयल का कहना है कि दो साल पहले यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के चलते देश में कागज के दाम 30 फीसदी तक बढ़ गए थे। तब कागज की कीमत 100 रुपये प्रति किलो से ज्यादा हो गई थी। इसके बाद कॉपी किताबों के दाम में उछाल आया था, लेकिन मौजूदा समय में जीएसटी के साथ कागज प्रति किलो करीब 67 रुपये का पड़ रहा है। स्कूल प्रबंधकों द्वारा निजी प्रकाशकों की किताबें तय करने पर अंकुश लगाने की जरूरत है।




2000 रुपये तक प्रति बच्चा बढ़ा अतिरिक्त खर्च का बोझ




अमीनाबाद के थोक स्टेशनरी विक्रेता जीतेन्द्र चौहान का कहना है कि कागज के साथ प्लास्टिक और दाने के साथ अन्य जरूरी चीजों के दाम थोक में 15 से 20 फीसदी घटे हैं। कॉपी, रजिस्टर, पेन, पेंसिल, बॉक्स, लंच बॉक्स, पानी की बोतल समेत अन्य स्टेशनरी के दाम थोक में कम हुए हैं। फुटकर बाजार में भी दाम घटे हैं लेकिन निजी स्कूलों के नामित पुस्तक विक्रेता बढ़े दाम पर बेच रहे हैं। बढ़े हुए दामों की वजह से अभिभावक परेशान हो रहे हैं और उनकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।




1260 में खरीदनी पड़ रहीं 40 रुपये की किताबें


बरेली। एनसीईआरटी की सबसे महंगी किताब 65 रुपये की है, जबकि निजी प्रकाशकों की भौतिक विज्ञान की ही किताबें 1260 रुपये में है। गणित की 55 रुपये की एनसीईआरटी की किताब के तुलना में निजी प्रकाशक की किताब 540 रुपये में बिक रही है। रसायन विज्ञान की किताबों का एनसीईआरटी का सेट 65 रुपये का है, जबकि निजी प्रकाशक इसे 990 रुपये में बेच रहे हैं।




स्कूलों की मनमानी, कमीशनखोरी, अफसरों की उदासीनता से प्रकाशन की किताबों की कीमत तय नहीं है।






बीते साल के मुकाबले कीमतें काफी बढ़ गई


स्टेशनरी इस साल कीमत बीते साल कीमत




रजिस्टर 80 से 110 60 से 90




कॉपी 40 से 50 30 से 40




पेन पेंसिल बॉक्स 150 से 400 100 से 300




स्कूल बैग (नर्सरी) 500 से 700 400 से 600




टिफिन बॉक्स 200 से 500 150 से 400




पानी बोतल 200 से 450 100 से 350


Primary ka master: कागज की कीमत 33% घटी, पर स्टेशनरी डेढ़ गुना महंगी बिक रही Rating: 4.5 Diposkan Oleh: Updatemarts

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