पुलिस में गोपनीय पद आउटसोर्सिंग से भरने का जारी पत्र लिया वापस
लखनऊ। गोपनीय और लिपिक
संवर्ग के उपनिरीक्षक व सहायक उपनिरीक्षक के संवेदनशील पदों को आउटसोर्सिंग से भरने संबंधी पत्र मंगलवार को गलती से जारी हो गया, जिसे डीजीपी मुख्यालय ने बुधवार देर रात वापस ले लिया। पत्र में पुलिस की सभी शाखाओं के डीजी एवं एडीजी से इन पदों को आउटसोर्सिंग से भरने पर राय मांगी गई थी।
कई शाखाओं ने इसे खारिज करने की अपनी रिपोर्ट भी मुख्यालय की स्थापना को भेज दी थी, जिसके बाद अधिकारियों को इस चूक का पता चला। डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि पत्र गलती से जारी हो गया था, जिसे वापस ले लिया गया है। ऐसा कोई प्रस्ताव शासन या डीजीपी मुख्यालय स्तर पर विचाराधीन नहीं है।
दरअसल, एडीजी स्थापना शाखा की पत्र में कहा गया था कि सहायक उपनिरीक्षक (लिपिक), सहायक उपनिरीक्षक (लेखा) के कर्मियों द्वारा कार्यालय में आवंटित कार्य वितरण के अनुसार अलग अलग प्रकृति के जैसे इंडेक्स, चरित्र पंजिका, रिकॉर्ड कीपिंग,
आंकिक शाखा में वेतन, टीए आदि कार्य किए जाते हैं।
पत्र के मुताबिक उपनिरीक्षक (गोपनीय) द्वारा पुलिस अधिकारियों के गोपनीय कार्यालय में पत्राचार आदि कार्य किया जाता है। इन सभी पदों पर सीधी भर्ती के माध्यम से भर्ती किए जाने की व्यवस्था प्रचलित है। पुलिस विभाग के कार्यों में हो रही लगातार वृद्धि के मद्देनजर लिपिकीय संवर्ग में स्वीकृत पदों के अतिरिक्त वर्तमान में विभाग की तात्कालिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सहायक उपनिरीक्षक (लिपिक), सहायक उपनिरीक्षक (लेखा) एवं उपनिरीक्षक (गोपनीय) के पदों पर आउटसोर्सिंग के माध्यम सेवाएं लेने पर विचार करना प्रस्तावित है।