राज्य ब्यूरो, जागरण पटना : राज्य के जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) के कार्यालयों में शिक्षकों के मामले अब 'फर्स्ट कम, फर्स्ट आउट' के आधार पर निष्पादित किए जाएंगे। इसका उल्लंघन करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। कोई भी शिक्षक आवेदन लेकर सीधे डीईओ एवं डीपीओ के कार्यालय नहीं जाएंगे। आवेदन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (बीईओ) कार्यालय को दिए जाएंगे। इस संबंध में शिक्षा विभाग की ओर से सभी क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशकों तथा जिला शिक्षा पदाधिकारियों एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को दिया गया है। इस आदेश को पिछले सप्ताह जांच के दौरान पटना जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में पायी गई अनियमितताओं से जोड़ कर देखा जा रहा है।
• शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को दिया आदेश
• बीईओ कार्यालय में पड़ेंगे डीईओ डीपीओ को दिए जानेवाले आवेदन
लिपिक व लेखापाल नहीं करेंगे शिक्षक को फोन
शिक्षा विभाग के आदेश में कहा गया है कि शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों के आवेदन अब बीईओ कार्यालय में पड़ेंगे। इसके लिए वहां पंजी संधारित होगी। पंजी में आवेदक का नाम, पदनाम, आवेदन प्राप्त करने की तिथि, आवेदन का विषय एवं डीईओ-डीपीओ को अग्रसारित करने की तिथि होगी। डीईओ-डीपीओ कार्यालय में भी पंजी संधारित होगी। इन कार्यालयों के कर्मचारी काम करने या कराने हेतु आवेदक से मोबाइल पर संपर्क नहीं करेंगे।
काम में गलत मंशा दिखाने पर नपेंगे अफसर व लिपिक
विभाग के अपर सचिव व निदेशक (प्रशासन) संजय कुमार द्वारा जारी आदेश में संबंधित अफसरों को आगाह किया गया है कि यदि विभागीय निर्देश के अनुपालन में लापरवाही का पता चला या उल्लंघन हुआ तो दोषियों पर कार्रवाई होगी। अक्सर ऐसा देखा जा रहा है कि शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों से प्राप्त आवेदनों का नियमानुसार संधारण-पंजीकरण नहीं होता है। विशेषकर मातृत्व अवकाश, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, बकाया वेतन भुगतान एवं सेवांत लाभ के भुगतान जैसे मामलों से संबंधित आवेदनों को लंबे समय तक गलत मंशा से लटका कर रखा जाता है।

