ऑनलाइन हाजिरी पूरी तरह से अव्यावहारिक है
सरकार 70 सालों में सब जगह सड़क, बिजली व पानी नहीं पहुचा पायी। और शिक्षकों से चाहते हैं वह तुरन्त डिजिटल हो जाए।
अटेवा ऑनलाइन उपस्थिति का विरोध करता है और सभी संघो से अपील करता है इसका जम कर विरोध होना चाहिए। क्योंकि आम शिक्षकों के लिए जानलेवा साबित होगी यह व्यवस्था। मानसिक दबाव में भागता हुआ शिक्षक यदि किसी #दुर्घटना का शिकार होगा तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा??
1-- सरकार?
2-- विभाग?
3-- तमाम बड़े-बड़े तानाशाही फरमान निकालने वाले अधिकारी ?
आखिर कौन होगा जिम्मेदार*??
#शिक्षक कोई मशीन नहीं है वह संवेदनाओ से भरा हुआ,भावनाओं में चलने वाला, बच्चों के खाली दिमाग में तमाम मानवीयगुणो को पिरोने वाला है जब उसी का मस्तिष्क #तनावग्रस्त रहेगा व स्वतंत्र ,सहज नहीं रह पाएगा तो बच्चों का निर्माणकर्ता और देश का निर्माता कैसे बन पाएगा?
इसलिए यह व्यवस्था लागू नहीं होनी चाहिए। शिक्षक संगठनों से #अपील करता हूं इसका विरोध करें। नहीं तो आम शिक्षकों का विश्वास अपने विभागीय संघ और संगठनों व नेतृत्वकर्ताओं से उठ जाएगा।
अटेवा इस व्यवस्था के विरोध मे है और सभी से अपील करता है इसका विरोध करें,यह न सोचो कि न बोलने से बच जाओगे। बल्कि एक #साथ खड़े हो जाओगे, तो यह व्यवस्था वापस हो जाएगी।
शोषण के खिलाफ मुखर होइए...
दो कदम हिम्मत दिखाइए...…
सिर्फ और सिर्फ अपने वर्तमान और भविष्य के लिए

