रिपोर्ट : भारत में वेतनभोगी नौकरियों की स्थिति पहले से अच्छी नहीं
नई दिल्ली। इस बार पेश किए गए बजट में रोजगार सृजन सबसे बड़ा मुद्दा रहा। सरकार ने घोषणा की है कि अगले पांच सालों में रोजगार सृजन के लिए दो लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इन नीतियों का मुख्य ध्यान वेतनभोगी नौकरियां पैदा करने पर होगा। हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था में पहले से मौजूद वेतनभोगी नौकरियों की स्थिति पर विचार करना जरूरी है। आंकड़े बताते हैं कि वेतनभोगी नौकरियों की स्थिति देश में पहले से अच्छी नहीं है।
वेतनभोगी नौकरियों का हिस्सा कई सालों में स्थिर
आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण 2022- 23 के अनुसार भारत के कुल कार्यबल में वेतनभोगी नौकरियों की हिस्सेदारी 20.9% है। अगर इसे कुल श्रमबल के रूप में देखा जाए तो ऐसे लोगों की हिस्सेदारी सिर्फ 20.2% ही है। राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग के एक जुलाई, 2022 की जनसंख्या अनुमान के आधार पर भारत की अनुमानित श्रम शक्ति 58.5 करोड़ है। इनमें वेतनभोगी नौकरियों की संख्या 11.8 करोड़ है। सर्वेक्षण के आंकडे 2017-18 से ही उपलब्ध हैं। इनके मुताबिक अर्थव्यवस्था में वेतनभोगी नौकरियों का हिस्सा काफी हद तक स्थिर रहा है।
प्रशासन, रक्षा समेत इन सेवाओं में ज्यादा नौकरियां
वेतनभोगी नौकरियों में शहरी क्षेत्रों का कुल हिस्सा 56% है। प्रमुख तीन क्षेत्रों, प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं जैसे व्यापार, होटल, परिवहन, भंडारण, संचार तथा विनिर्माण में 84%
वेतनभोगी नौकरियां हैं। विरोधाभास यह है कि इन क्षेत्रों में देश के कुल श्रमिकों का सिर्फ 38% हिस्सा है।