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Wednesday, July 10, 2024

अधिक आक्रामक हुआ आंदोलनः बनी संघर्ष समिति, रद्द होने तक जारी रहेगा बहिष्कार

 अधिक आक्रामक हुआ आंदोलनः बनी संघर्ष समिति, रद्द होने तक जारी रहेगा बहिष्कार

डिजिटल हाजरी के खिलाफ उत्तर प्रदेश का बेसिक शिक्षक लोटे में नमक डालकर एकजुट हो गया है। आज दूसरे दिन पूरे प्रदेश में किसी भी अध्यापक ने डिजिटल हाजरी नही लगाई। वहीं सत्ता व विपक्ष के अनेक सांसद, विधायक शिक्षकों के साथ खड़े हो गए है। उधर आंदोनरत शिक्षक संगठन भी और ज्यादा आक्रामक हो गए हैं। उन्होंने सभी संगठनों को एकमंच पर इकट्ठा कर संयुक्त मोर्चा गठित करके आगे की लड़ाई की रूपरेखा तैयार कर ली है। इससे सरकार के हाथ पांव फूलते नजर आ रहे हैं। क्योंकि आज यह खबर भो प्रचारित कराई गई कि सरकार ने डिजिटल हाजरी आदेश को स्थगित कर दिया है। जबकि इसकी अधिकृत सूचना जारी नहीं की गई। वही शिक्षक नेताओं का कहना है कि उनका आंदोलन डिजिटल आदेश को स्थगित कराने के लिए नहीं है बल्कि उसे वापस लेने के लिए है। जब तक यह तुगलकी आदेश रद्द नही होगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। महानिदेशक कंचन वर्मा के तुगलकी फरमान के खिलाफ उत्तर प्रदेश के शिक्षकों में जबर्ददत आक्रोश है। फुट डालने को कोशित के बाद भी पूरा प्रदेश एकसाथ खड़ा है। शिक्षक मुंडन कराने का मन बना चुका है, उसे सरकार अब हेयर स्टाइल खराब करने की धमकी देकर हरा नहीं सकती है। यही कारण है कि आज किसी भी शिक्षक ने डिजिटल हाजरी नहीं लगाई। उधर शिक्षकों के साथ अनेक सांसद व विधायक खड़े हो गए है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा सांसद अखिलेश यादव ने डिजिटल हाजरी का विरोध करते हुए लिखा है कि


शिक्षकों पर विश्वास करने से ही अच्चाई पीढ़ी जन्म लेती है। कोई शिक्षक देर से स्कूल नहीं पहुंचना चाहता है लेकिन कहीं सार्वजनिक परिवहन देर से चालना इसका कारण बनता है, कहीं रेल का बंद फाटक और कहीं घर से स्कूल के बीच की पचासों किमी की दूरी क्योंकि शिक्षकों के पास स्कूल के पास रहने के लिए न तो सरकारी आवास होते हैं, न दूरस्थ इलाकों में किराये पर घर उपलब्ध होते हैं। इससे अनावश्यक तनाव जन्म लेता है और मानसिक रूप से उलझा अध्यापक कभी जल्दबाजी में दुर्घटनाग्रस्त भी हो सकता है, जिसके अनेक उदाहरण मिलते हैं। यदि किसी आकस्मिक कारणवश शिक्षकों को व्यक्तिगत स्थास्थ्य या फिर पर, परिवार और समाजिक कारणों से दिन के बीच में स्कूल छोड़ना पड़े तो पूरे दिन के अनुपस्थित होने की रिपोर्ट पेज दी जाएगी। देर से स्कूल पहुंचने या जल्दी स्कूल से वापस जाने के अनेक कारण हो सकते हैं। यहाँ तक कि विद्युत आपूर्ति के चाधित होने या तकनीकी रूप से भी कभी इंटरनेट जैसी सेवाओं के सुचारू संचालन में समस्या आती है। इसीलिए हाडिजिटल अटेंडेंसह का विकल्प बिना व्यावहारिक



समस्याओं के पुख्ता समाधान के संभव नहीं है। सबसे पहले वे अन्य सभी विभागों के प्रशासनिक मुख्यालयों में लागू किया जाए जिससे उच्चस्थ अधिकारियों को इसके व्यावहारिक पक्ष और परेशानियों का अनुभव हो सके, फिर समस्या समाधान के बाद ही इसे लागू करने के बारे में कालांतर में सोचा जाए। सबसे बड़ी बात ये है कि इससे शिक्षकों को भावनात्मक ठेस पहुँचती है, जिससे उनके शिक्षण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बोधपरक शिक्षण के लिए शिक्षकों का भावात्मक रूप से जुड़ना आवश्यक होता है। स्कूल में केवल निश्चित घंटे बिताना हो शिक्षण नहीं हो सकता। हम इस मुद्दे पर शिक्षकों के साथ हैं। संसदीय एवं सामाजिक सदभाव समिति, विधान परिषद यूपी के सभापति अशुतोष सिन्हा ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि शिक्षकों के लिए जरूरी की गई डिजिटल हाजरी अनुपयोगी है और केवल उच्च अधिकारियों द्वारा कमीशनखोरी के लिए यह व्यवस्था की गई है। उननि इसमें घोटाले का पता किऔर है कि डिजिटल हाजरी वाली कुमवस्था को उत्काल प्रभाव से बंद कराया जाए। नगीना के सांसद एवं आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने


भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर ऑनलाइन उपस्थित को पूर्णतय अनुचित बताया है। इससे शिक्षकों में भागमभाग की होगी। समाज में शिक्षकों की विश्वसनीयता खराब होने से शिक्षा होगी। इसलिये ऑनलाइन उपस्थित को निरस्तीकरण हेतु संबंधित अधिकारी को निर्देशित करें। विधान परिषद सदस्य नेता डॉ बाबूलाल तिवारी ने अनुरोध किया है शिक्षकों को सभी मानते हुए उनसे बातचीत करके समाधान निकाले। शामली विधायक चौधरी ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में की सभी समस्याओं के समाधान और डिजिटल हाजरी के आंदेश को का अनुरोध किया है। सपा रामगोपाल यादव ने ट्वीट किया है कि सरकार ने शिक्षकों की 30 इएल सीएल देने की मांग नही मानी है। अप है। अध्यापकों की स्थिति दयनीय होती जा रही है। लिए भी टीचर को मेडिकल लीव रही है। सरकार ऑनलाइन उपस्थित पर लगी है। उन्होंने मगि मानने और हाजरी आदेश को वापस लेने की मांग की है। विधान परिषद सदस्य अवधेश कुमार मंजू सिंह ने ऑनलाइन उपस्थित शिक्षकों की समस्याओं के अनुरोध मुख्यमंत्री से किया है। विधायक एवं सदस्य लोकलेखा समाधान का चरचावल के समिति पंकज चौधरी चौधरी ने डिजिटल हाजरी को अव्यवहारिक बताया और कहा कि हम इसकी करते हैं खड़े हैं। उनका कहना है कि यह व्यवस्था तब लागू हो सकती है, जब हम उन्हें सुविधा दे रहे हो। सुदूर इलाको में

सामने

कहा है कि स्थिति पैदा गरिमा और प्रभावित के आदेश भाजपा मुख्यमंत्री से मांगो को समस्या का प्रसन्न शिक्षकों वापस लेने सांसद प्रो. यूपी , आधा शादी के लेनी पड़ दर्ज कराने डिजिटल सिंह" वापस व कड़े शब्दों आवास इंटरनेट की सुविधा नहीं होती। ऐसे में यह प्रयोग कदाचित उत्तम नहीं है। इस कदम से हम समाज को संदेश दे रहे हैं कि शिक्षक अपने कार्य के प्रति उदासीन है, जो कि गलत है। इसलिये यह आदेश निरस्त किया जाए। सरधना विधायक अतुल प्रधान ने भी डिजिटल हाजरी आदेश को निरस्त करने का मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है। एमएलसी डॉ मानवेन्द्र प्रताप सिंह गुरुजी" ने भी शिक्षकों का समर्थन किया है। आंदोलन को लंबा एवं प्रभावी ढंग से चलाने के लिए आज सभी संगठनों के नेताओं ने पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में एक बैठक की। शिक्षक नेता योगेश त्यागी व सुलोचना मौर्या ने बताया कि आन लाइन डिजिटल उपस्थिति सम्बन्धी आदेश के विरोध में आज लखनऊ में बेसिक शिक्षा विभाग में संचालित मान्यता प्राप्त तथा गैर मान्यता प्रताप प्रदेश भर के शैक्षिक सेवा संघों की बैठक हुई। जिसमें बेसिक शिक्षकों कर्मचारियों के आने वाली समस्याओं के निराकरण हेतु संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया गया। जिसका नाम "शिक्षक, शिक्षा मित्र, अनुदेशक, कर्मचारी संघर्ष मोर्चा उत्तर प्रदेश" दिया गया मोर्चे में शामिल संगठन, उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ प्राथमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश, महिला शिक्षक संघ उ० प्र०, विशिष्ट बी०टी० सी० वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश, अटेवा उत्तर प्रदेश, टी०एस०सी०टी० उत्तर प्रदेश शिक्षा मित्र संघ उ० द. अनुदेशक संघ उ०प्र० के तीनों [इटेड टीचर (यूटा) उ०प्र०, अंतर जनपदीय संघ उ०प्र०, आबित हुए। सभी संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष एवं प्रदेश महामंत्री ने इसमें प्रतिभाग किया। साथ ही कार्यक्रम की घोषणा भी की गई 15 जुलाई को सभी जिलों में संयुक्त मोर्चा के बैनर के नीचे विशाल संख्या के साथ मुख्य मंत्री को सम्बोधित ज्ञापन भेजा जाएगा। 29 जुलाई को मोर्चा द्वारा महानिदेशक का घेराव आदेश वापसी तक किया जाएगा। बैठक में विजय कुमार बन्धु सुशील पांडेय, सुलोचना मौर्य संतोष तिवारी, शिवकुमार शुक्ल, विवेकानंद आर्य दिलीप चौहान व अन्य सभी संगठनों के अध्यक्ष महामंत्री शामिल रहे इस बीच आज मुख्यमंत्री द्वारा शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारियों की बैठक की खबर प्रसारित हुई। सांव के समग एक दो छोटे चेनल पर पट्टी चलाई गई कि डिजिटल हाजरी आदेश स्थगित कर दिया गया है। इसकी पुष्टि सरकार ने नहीं को और न ही कोई अधिकृत सूचना दी गई। इस पर जब मैंने प्रदेश के शिक्षक नेता योगेश त्यागी, सुलोचना मौर्या, संजय सिंह आदि से पूछा तो उन्होंन भी वही कहा कि कोई अधिकृत सूचना नही है। साथ ही उन्होंने कहा कि हमारा आआंदोलन इस तुगलकी आदेश को स्थगित कराने के लिए नहीं है. यह जब तक रद्द नहीं हो जाएगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उसकी पूरी रूपरेखा तैयार कर ली गयी है। उन्होंने सभी शिक्षकों से भी अनुरोध किया कि वे एकजुट रहे और बिना भूमित हुए डीजिटल हाजरी का पूर्ण विरोध करें। जिस तरह से अआंदोलन चल रहा है उससे यह तो लगने लगा है कि सरकार को झुकना पड़ेगा। क्योंकि पूर्व में बीरबहादुर व कल्याण सिंह की सरकार झुक चुकी है। जिनमें से वीरबहादुर सरकार ने शिक्षकों पर घोड़े छोड़े कारी शिक्षकों का वेतन रोक दिया था। बाद में दोनों सरकारों को एकता के सामने झुकना पड़ा था।



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