लखनऊ, । स्वतंत्र तालीम द्वारा लिटरेसी हाउस में आयोजित बुलबुले फेस्टिवल के दूसरे दिन का भी नजारा उत्साह से भरा रहा। जहां बच्चों ने सर्कन, कठपुतली, कबाड़ से जुगाड़, जैसे कार्यक्रमों में न सिर्फ मनोरंजन किया बल्कि किताबी ज्ञान से अलग कुछ नया सीखने का प्रयास किया।
फेस्टिवल में दूसरे दिन सरकारी विद्यालयों के कक्षा तीन से पांच तक बच्चे शामिल रहे। जहां किताबों से दूर बच्चों के खेल-खेल में कई चीजें सीखीं और कठपुतली, नृत्य, संगीत, खेल में अपना दिल लगाया। फेस्टिवल में बच्चों के लिए हमारा सर्कस खास रहा। जिसमें कठपुतली और थिएटर के संगम से बना एक सुंदर शो था। बच्चों और दर्शकों ने मंच पर प्यारे और मजेदार पात्रों को देखा, और उनके पीछे की भावनाओं और संवेदनाओं को समझा। कठपुतली कला के इस जादू से बच्चों ने बहुत कुछ सीखा। इसके साथ ही कबाड़ से जुगाड़ वर्कशॉप में बच्चों ने कागज से जहाज बनाया और कई चीजे बनाकर अपनी खुशी का इजहार किया। बच्चों ने सभी समझा की कबाड़ हो चुकी चीजों को भी उपयोगी चीजों में बदला जा सकता है।