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Sunday, December 1, 2024

कई स्कूलों में लैब उपकरण तो दूर विज्ञान विषयों के शिक्षक भी नहीं

 लखनऊ, । वित्त पोषित स्कूलों की बदहाल प्रैक्टिकल लैब और भौतिकी, रसायन व जीव विज्ञान के शिक्षक न होने से लगातार बच्चों की संख्या घट रही है। आधा दर्जन स्कूलों में इंटरमीडिएट में बच्चों की संख्या बमुश्किल आठ से 20 बची है। शैक्षिक सत्र के आठ माह बीत गए हैं, अभी तक बच्चों ने प्रैक्टिकल लैब नहीं देखी है। लैब में ताला पड़ा हुआ है। प्रधानाचार्य के पास रुपये नहीं कि वे लैब को दुरुस्त कराएं। केमिकल व नए उपकरण खरीदें। प्रबंधक कोई मदद नहीं कर रहे हैं। अब इन्हें सरकार से आस है कि राजकीय स्कूलों की तरह इन्हें भी बजट दिया जाए।



पुराने उपकरण काम नहीं करते

मरम्मत और रखरखाव न होने से अधिकांश वित्त पोषित स्कूलों की लैब बदहाल हैं। भौतिकी, रसायन और जीव विज्ञान के 20 वर्ष पुराने उपकरण खराब हो गए हैं। यह ठीक से काम नहीं करते हैं। प्रयोग करते समय यह सही परिणाम नहीं देते हैं। शिक्षक और बच्चे परेशान हो रहे हैं। केमिकल और उपकरण महंगे होने से प्रधानाचार्य खरीद नहीं रहे हैं।




प्रैक्टिकल और थ्योरी पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं कई स्कूलों में प्रैक्टिकल से जुड़े विषय भौतिकी विज्ञान, रसायन और जीवन विज्ञान के शिक्षक नहीं हैं। यहां के बच्चे न प्रैक्टिकल कर पा रहे हैं और न थ्योरी पढ़ पा रहे हैं। प्रधानाचार्य विभाग से शिक्षकों की मांग कर रहे हैं, लेकिन शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं। कुछ स्कूलों ने मानदेय पर शिक्षक रखें, लेकिन समय से मानदेय नहीं मिलने से छोड़कर चले गए। इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।




सरकार वित्त पोषित स्कूलों में लैब के रखरखाव व केमिकल व उपकरण के एक निश्चित बजट की व्यवस्था करे। विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की भारी कमी है। शिक्षक न होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। बच्चे घट रहे हैं। 50 फीसदी स्कूलों में 200 से कम छात्र संख्या बची है। विभाग और सरकार को चाहिये कि स्कूलों में विषय विशेषज्ञ शिक्षकों को तैनात करे। सोहन लाल वर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, उप्र. माध्यमिक शिक्षक संघ एकजुट




लैब में केमिकल और उपकरण की कमी




बासमण्डी स्थित इण्डस्ट्रियल इंटर कॉलेज में इंटर में करीब 12 बच्चे हैं। इन्हें पढ़ाने के लिये भौतिक विज्ञान का शिक्षक भी नहीं है। लैब की हालात खराब है। उपकरण बहुत पुराने हैं। धूल व जंग लगने की वजह से सही से काम नहीं कर रहे हैं। कक्षाएं नहीं लग पा रही हैं। प्रधानाचार्य विवेकांनद मिश्रा का कहना है कि उपलब्ध उपकरण और संसाधन से बच्चों के किसी तरह प्रैक्टिकल करा रहे हैं।


 प्रैक्टिकल फीस से लैब करायी दुरुस्त


मोहनलालगंज स्थित नवजीवन इंटर कॉलेज की लैब अन्य से बेहतर है। रसायन विज्ञान की लैब में केमिकल हैं। भौतिकी विज्ञान की लैब के उपकरण काफी पुराने हैं, लेकिन रखरखाव सही होने से काम कर रहे हैं। यहां के बच्चे प्रैक्टिकल कर रहे हैं। प्रधानाचार्य ने खुद के प्रयास से लैब को दुरुस्त कराया है। कुछ केमिकल और उपकरण खरीदे हैं। स्कूल के प्रधानाचार्य हरिगोविन्द मिश्रा का कहना है कि कॉशन मनी के 30 रुपये और प्रति प्रैक्टिकल 10 बच्चों से लेकर लैब का रखरखाव किया है।


वित्त पोषित स्कूलों की लैब ठीक कराने की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधकों की है। प्रधानाचार्यों को चाहिए कि वो प्रबंधक से बात करके लैब को सही कराएं। केमिकल व अन्य जरूरी उपकरण उपलब्ध कराएं। सभी को निर्देशित किया गया है कि वो लैब सही कराकर बच्चों के प्रैक्टिकल कराएं।


राकेश कुमार, डीआईओएस

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