सरकार ने दीवाली जैसे त्योहारों पर सरकारी कर्मचारियों को उपहार देने पर रोक लगा दी है। वित्त मंत्रालय का मानना है कि इससे सरकारी खर्च कम होगा, लेकिन ओल्ड पेंशन स्कीम के अध्यक्ष ने इस फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे कर्मचारियों का मनोबल गिरेगा। आरबीआई गवर्नर पहले ही राज्यों से अनावश्यक खर्चों में कटौती करने की अपील कर चुके हैं।
केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय ने दीवाली और अन्य त्योहारों पर दिए जाने वाले उपहार की परंपरा पर रोक लगाए जाने की आदेश दिए हैं।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार डॉ. सुमंत्र पाल की ओर से 17 सितंबर को लोक उद्यम विभाग (डीपीई) के चीफ एग्जीक्यूटिव को लिखे पत्र में कहा गया है कि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसयू) में दीवाली और दूसरे त्योहारों पर गिफ्ट देने की प्रथा पर रोक लगाई जाए। इससे सरकारी खर्च बढ़ता है।
अर्थव्यवस्था में जनता के संसाधनों का न्यायपूर्ण उपयोग हो, इसके लिए यह कदम उठाना जरुरी है। डॉ. पाल ने इन दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
क्या है डीपीआई?
गौरतलब है कि डीपीई, वित्त मंत्रालय के अधीन एक नोडल विभाग है, जो केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों से संबंधित नीतियों और दिशानिर्देशों को तैयार करता है, उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है।
उनके कार्य-निष्पादन, स्वायत्तता व कार्मिक प्रबंधन पर नीतिगत दिशानिर्देश निर्धारित करता है। तीसरी लोकसभा (1962-67) की प्राक्कलन समिति की 52वीं रिपोर्ट में सार्वजनिक उद्यमों के प्रदर्शन का निरंतर मूल्यांकन करने के लिए एक केंद्रीकृत समन्वय इकाई की स्थापना की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया था।
परिणामस्वरूप, भारत सरकार ने 1965 में सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो (बीपीई) की स्थापना की और इसे वित्त मंत्रालय के अधीन कर दिया।
नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत के अध्यक्ष ने किया विरोध
वहीं नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत के अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल का कहना है कि वित्त मंत्रालय के निर्देश ठीक नहीं हैं।
इस उपहार से कर्मचारी सोचता है कि उसके काम का सम्मान हो रहा है और वह दोगुने उत्साह से काम करता है। यह आदेश कर्मियों का उत्साह तोडऩे वाला कदम है।
आरबीआइ गवर्नर ने दी थी सलाह
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल में राज्यों के वित्तीय प्रबंधन पर चिंता जताते हुए अनावश्यक सरकारी खर्चों में कटौती करने और राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने पर जोर दिया है।
उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल राजकोषीय स्थिरता सुनिश्चित करेगा, बल्कि आर्थिक विकास को गति देगा और मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने में मदद करेगा। इसके साथ ही उन्होंने राज्यों को केंद्र के साथ समन्वय बढ़ाने पर बल दिया था।

