8वां वेतन आयोग: 31 दिसंबर को समाप्त होगा 7वां पे, नए साल से वेतन बढ़ोतरी की उम्मीद
नई दिल्ली। साल 2025 के अंतिम दिनों के साथ ही देश में कई अहम वित्तीय बदलावों की तैयारी है। 1 जनवरी 2026 से नियमों में संभावित बदलावों के बीच केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की निगाहें खास तौर पर वेतन से जुड़ी बड़ी घोषणा पर टिकी हैं। वजह यह है कि सातवां वेतन आयोग 31 दिसंबर 2025 को अपना कार्यकाल पूरा करेगा और इसके बाद आठवें वेतन आयोग के लागू होने की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।
7वें वेतन आयोग का कार्यकाल होगा पूरा
जनवरी 2016 से प्रभावी सातवां वेतन आयोग इस साल के अंत तक लागू रहेगा। इसके समाप्त होते ही केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए नया वेतन ढांचा लाने की दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने आठवें वेतन आयोग के टर्म्स ऑफ रेफरेंस को स्वीकृति दी थी। विशेषज्ञों के अनुसार, नया सैलरी स्ट्रक्चर कागजी तौर पर 1 जनवरी 2026 से प्रभावी हो सकता है, हालांकि वास्तविक वेतन संशोधन और एरियर के भुगतान में कुछ समय लगना स्वाभाविक है।
वेतन बढ़ोतरी कितनी हो सकती है?
आठवें वेतन आयोग के तहत सैलरी में बढ़ोतरी का सीधा असर फिटमेंट फैक्टर पर निर्भर करेगा। फिलहाल विभिन्न आकलनों में इसके 2.4 से 3.0 के दायरे में रहने की संभावना जताई जा रही है। पूर्व आयोगों पर नजर डालें तो छठे वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.86 था, जबकि सातवें में इसे बढ़ाकर 2.57 किया गया था। नए गुणक के आधार पर ही वेतन वृद्धि का अंतिम स्वरूप तय होगा।
फिटमेंट फैक्टर क्या है और कैसे काम करता है?
फिटमेंट फैक्टर एक गुणांक होता है, जिसे मौजूदा बेसिक पे पर लागू कर नई बेसिक सैलरी निर्धारित की जाती है। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी लेवल-1 कर्मचारी की वर्तमान बेसिक सैलरी 18,000 रुपये है और फिटमेंट फैक्टर 2.4 तय होता है, तो उसकी नई बेसिक सैलरी करीब 43,200 रुपये तक पहुंच सकती है। इसी तरह अन्य स्तरों के कर्मचारियों की बेसिक पे में भी समान अनुपात में बढ़ोतरी होगी। नई बेसिक सैलरी का प्रभाव महंगाई भत्ता, मकान किराया भत्ता और अन्य भत्तों पर भी दिखाई देगा।
फिटमेंट फैक्टर तय करने में किन बातों का ध्यान?
नए वेतन आयोग के गठन के दौरान फिटमेंट फैक्टर तय करने के लिए कई आर्थिक पहलुओं पर विचार किया जाता है। इनमें महंगाई दर, जीवनयापन की लागत, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI/CPI-IW) के आंकड़े, सरकार की वित्तीय स्थिति और बजट क्षमता प्रमुख हैं। इसके अलावा निजी क्षेत्र के वेतन ढांचे से तुलना भी की जाती है। इन्हीं सभी तत्वों के संतुलन से वह आंकड़ा निकलता है, जो कर्मचारियों की वेतन वृद्धि की दिशा तय करता है।
आठवें वेतन आयोग को लेकर उम्मीदें ऊंची हैं, लेकिन अंतिम फैसला आयोग की सिफारिशों और सरकार की मंजूरी के बाद ही सामने आएगा। तब तक केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को 1 जनवरी 2026 का इंतजार बना रहेगा।

