सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारी की गरिमा कायम रखने के लिए पेंशन जरूरी है |यह इच्छा के आधार पर दी गई कोई राशि नहीं है बल्कि सामाजिक कल्याण का एक अहम कदम है और संकट की घड़ी में जरूरी मदद है इसलिए इसे देने से मना नहीं किया जा सकता|
जस्टिस एसके कॉल, जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने केरल सरकार से सेवानिवृत्त एक पूर्व कर्मचारी को राहत देते हुए राज्य सरकार को उसे अस्थाई कर्मचारी के तौर पर देखते हुए उसके 32 वर्ष के कार्यकाल के आधार पर पेंशन लाभ देने का आदेश दिया है| पीठ ने कहा कि पेंशन मदद के लिए दी जाने वाली राशि है |इसे इच्छा अनुसार से नहीं कर सकते हैं |कर्मचारी सेवानिवृत्त होने के बाद भी पेंशन की सहायता से गरिमा से जीवन व्यतीत करता है| इसे देने से इनकार नहीं किया जा सकता |याचिकाकर्ता 13 साल से अपनी पेंशन के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहा था |वह अलग-अलग सरकारी विभागों से 32 वर्ष सेवा दे चुका है |पीठ ने केरल सरकार को अगले 8 हफ्तों के अंदर याचिकाकर्ता को पेंशन का तथा 13 साल का एरियर ब्याज समय से देने का आदेश दिया|

