प्रयागराज। सरकार की ओर से सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के दैनिक खर्च, बिजली के बिल सहित दूसरे संसाधनों के विकास के लिए कोई बजट जारी नहीं करने से विद्यालयों के प्रधानाचार्य समस्याओं से जुझ रहे हैं। सरकार की ओर से आए दिन सूचनाओं की ऑनलाइन फीडिंग करने का आदेश दिया जाता है, इसके लिए स्कूल में कोई ट्रेंड व्यक्ति नहीं होने से विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को इस पर अपनी जेब से पैसा खर्च करना पड़ता है। विद्यालयों का भारी भरकम बिजली का बिल, पानी की व्यवस्था, साफ सफाई, कोरोना को लेकर स्कूल को सेनेटाइज करने और बचाव के संसाधन रखने के लिए कोई बजट नहीं है। बच्चों से मिलने वाली फीस पूरी सरकारी कोष में जमा हो जाती है।
विद्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों एवं लिपिकों का अभाव है। ऐसे में प्रधानाचायों को हर काम स्वयं आगे बढ़कर करना पड़ हा है। ऋषि कुल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ.शीला त्रिपाठी का कहना है कि उनके विद्यालय में बिजली का कई वर्षों का करीब सात लाख रुपए का बिल बकाया है। बिजली विभाग की ओर से स्कूल की बिजली काट दी गई है। कोई बजट नहीं होने से बिल का भुगतान कैसे हो।
प्रधानाचार्य परिषद के अध्यक्ष सभापति तिवारी का कहना है कि शहर व ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश विद्यालयों का यही हाल है। सरकार को चाहिए कि वह विद्यालयों के बिजली, पानी, भूमि भवन का शुल्क माफ करें व मेंटिनेंस के लिए एक निश्चित धनराशि उपलब्ध कराए।

