महानिदेशक के निर्देशो को सुनकर उड़ती जा रही है शिक्षकों की दिन का चैन व रात की नींद
(आज समाचार सेवा) कानपुर देहात, २६ नवंबर। परिषदीय शिक्षकों को रोजाना नए नियमों से बांधने की कवायद चर्चा में बनी हुई है। सरकारी चाबुक से बचने के लिए कोई भी शिक्षक- शिक्षिका खुलकर विरोध नहीं करती हैं लेकिन अपने-अपने समूहों में चचर्चायें करते रहते हैं। अब तो लम्बे-चौड़े लेख भी लिखे जा रहे हैं।
वे तो यहां तक कहने लगे हैं कि बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह समेत शिक्षक नेता भी एक अधिकारी के आगे बौने साबित हो गए हैं। पूरा विभाग गिने-चुने अधिकारियों के चंगुल में फसकर कार्य कर रहा है। सभी का एकमात्र उद्देश्य शिक्षकों को परेशान करना है। अभी तक परेशान करने के अलावा दूसरा कोई लाभ शिक्षा व्यवस्था को नहीं मिला है और न ही बज्चों को अतिरिक्त सुविधा मिली है। छुट्टी के दिनों में शिक्षकों को बुलाना, रोज नया पत्र जारी करके नई-नई व्यवस्थाओं को सौंपना, पिछले कार्यों पर चर्चा न करके आगामी योजनाओं को थोपना अब आदत में आ गया है।
जिले में प्राथमिक शिक्षकों के कई समूह सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं जिसमें अपने- अपने दिल की बात शिक्षक कहते हैं। शिक्षक तो यहां तक कह रहे हैं कि इतने ऐप दे दिए गए हैं कि कौनसा इंस्टॉल किया जाए और किसको छोड़ा जाए समझ नहीं आ रहा है। प्रशिक्षण और सूचनाओं का संकलन इतनी बड़ी तादाद में हो गया हैं कि उनको याद रखना काफी मुश्किल हो गया है।
उल्लेखनीय है कि शिक्षा के उन्नयन को लेकर शुरु से ही प्रयास होते रहे हैं। सरकार कोई भी हो लेकिन हर कोई बज्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रयास करती रही है। पहले संबंधित विभाग के मंत्री सक्रिय भूमिका निभाते थे। उनकी देखरेख में ही आलाधिकारी नियम बनाते थे और उनके क्रियान्वयन के लिए योजना तैयार की जाती थी।