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Monday, December 18, 2023

स्थानांतरण के बाद पदोन्नति में भी खेल, एनसीटीई की गाइडलाइन का पालन भी संशय में

 राज्य सरकार द्वारा जून में किए गए स्थानांतरण के बाद अब पदोन्नति की जा रही है, जिनमें सरकार पूर्ण रूप से मनमानी कर रही है। छात्र-शिक्षक अनुपात और स्वीकृत पदों में डेटा भिन्न पाया जा रहा है। यहां तक कि सरकार द्वारा स्थानांतरण के समय जिन जिलों में पद शून्य किए गए थे आज उन जिलों में पद दिखाए जा रहे हैं।


हिमांशु राणा ।

लंबे समय से स्थानांतरण की लड़ाई लड़ रहे शिक्षक हिमांशु राणा ने बताया कि स्थानांतरण के समय 12 जिलों में प्राथमिक विद्यालय के सहायक शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए पद शून्य दिखाए थे और उच्च प्राथमिक में 45 जिलों में सहायक शिक्षकों के पदों को शून्य दिखाया गया था और अब जब पदोन्नति की प्रक्रिया गतिमान है तो वे जिले जहां स्थानांतरण के समय उच्च प्राथमिक विद्यालों में पदों को शून्य किया था उनमें गोरखपुर में 1676 स्वीकृत पद, फिरोजाबाद में 576 पद, इटावा में 600, जालौन 187, बरेली में 327, रामपुर में 819 । हिमांशु राणा ने बताया कि सरकार ने स्थानांतरण के समय जिन जिलों में पदों की संख्या शून्य की थी आज वहां पदोन्नति

के समय पद कैसे दिखाए जा रहे हैं इससे शासन की मंशा साफ नजर आती है कि चुनावी माहौल में स्थानांतरण और पदोन्नति करना महज आंकड़ेबाजी है। उन्होंने बतायाअधिकारियों द्वारा की जा रही मनमानी को कोर्ट में दिखाया जाएगा और जो छल आम शिक्षक के साथ हुआ है उसको बेनकाब किया जाएगा।



एनसीटीई की गाइडलाइन का पालन भी संशय में


सरकार द्वारा पदोन्नति की प्रक्रिया में एनसीटीई के नियमों का पालन हो भी रहा है या नहीं इस बात को लेकर शासन का स्पष्ट कोई आदेश नहीं आया है जबकि एनसीटीई की गाइडलाइन में स्पष्ट है कि किसी भी प्रकार की पदोन्नति में शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है जबकि जिलों की निकल रही सूचियों में ऐसे अभ्यर्थी भी हैं जिन्होंने शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण ही नही की है। हिमांशु राणा ने बताया कि वर्तमान सरकार में शिक्षकों के हित की सुध लेने वाला कोई नहीं है। सरकार द्वारा किया जा रहा हर कार्य न्यायालय की दहलीज पर पहुंचता है क्योंकि सरकार द्वारा बनाई जा रही नीतियां साफ और स्पष्ट नहीं हैं। अधिकारियों द्वारा न ही कोई जनसूचना का जवाब दिया जा रहा है और न ही कोई शासनादेश निकालकर प्रक्रिया में सुचिता बरती जा रही है। शिक्षक मजबूर हैं और आने वाले चुनावी माहौल में अपने हितों को ध्यान में रखते हुए सड़क से लेकर न्यायालय तक कि लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है।

स्थानांतरण के बाद पदोन्नति में भी खेल, एनसीटीई की गाइडलाइन का पालन भी संशय में Rating: 4.5 Diposkan Oleh: Updatemarts

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