Primary Ka Master Latest Updates👇

Wednesday, February 14, 2024

मेरिट से समझौता डिगा सकता है परीक्षा तंत्र से भरोसा : हाई कोर्ट

 प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा है कि निष्पक्षता प्रतियोगी परीक्षा की आत्मा है। इसलिए मेरिट के साथ समझौते की अनुमति नहीं दी जा सकती। ऐसा करने से परीक्षा तंत्र के प्रति विश्वसनीयता में कमी आती है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने वर्ष 2018 की 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती में फर्जीवाड़ा कर नियुक्त हुए सहायक अध्यापकों की नियुक्ति निरस्त करने संबंधी आदेश में हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने हमीरपुर की उर्वशी सहित अन्य की याचिकाओं पर दिया है।



परीक्षा में कम अंक पाने के बावजूद टेबुलेशन में अधिक अंक दर्ज करने से याची चयनित हुए थे। कोर्ट ने नियुक्ति निरस्त करने की वैधता को चुनौती देने वाली 29 सहायक अध्यापकों में 19 की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने प्रत्येक याची पर पांच हजार रुपये का हर्जाना लगाया है और चार सप्ताह में यह राशि हाई कोर्ट विधिक सेवा समिति में जमा कर रसीद पत्रावली रखने का आदेश दिया है। याचीगण 2018 की सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित हुए और काउंसिलिंग के बाद नियुक्ति की गई। एक वर्ष के प्रोबेशन अवधि में ही जांच की गई और फर्जीवाड़ा करने वाले हमीरपुर के 53 अध्यापकों की नियुक्ति निरस्त कर दी गई। पता चला कि उत्तर पुस्तिका में उर्वशी के 53 अंक हैं किंतु टेबुलेशन में 62 अंक दर्ज हैं। इसी प्रकार 4, 8 व 8 अंक पाने वालों के टेबुलेशन में 84, 45, 68 अंक दर्ज हैं। याचीगण सहायक अध्यापक पद पर चयन की योग्यता नहीं रखते थे। कोर्ट ने कहा, पुनर्मूल्यांकन का उपबंध न होने से कोई चुनौती नहीं दे सकता है। याचियों को अवैध लाभ दिया गया। इसे कोर्ट ने उत्तर पुस्तिका मंगाकर सत्यापित भी किया है। प्राथमिकी की विवेचना चल रही है।

मेरिट से समझौता डिगा सकता है परीक्षा तंत्र से भरोसा : हाई कोर्ट Rating: 4.5 Diposkan Oleh: Updatemarts

Social media link