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Tuesday, March 19, 2024

24 मार्च की रात होलिका दहन, 25 को रंग पर्व होली

 जागरण संवाददाता, वाराणसी :

सामाजिक समरसता को समर्पित

सनातन धर्म का प्रमुख पर्व होली

फाल्गुन पूर्णिमा की रात होलिका

दहन कर अगली सुबह चैत्र कृष्ण

प्रतिपदा में मनाने की परंपरा है।

इस बार फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा का

आरंभ 24 मार्च को सुबह 09:24

बजे से हो रहा है, जो 25 मार्च को

सुबह 11:31 बजे तक रहेगी। अतः

24 मार्च को ही भद्रा समाप्त होने के

बाद (रात्रि 10:27 के बाद) होलिका

दहन किया जाएगा। धर्मशास्त्रीय

वचन 'कृत्वा चावश्य कार्याणि संर्तप्य

पितृदेवताः। वंदयेत् होलिका भूमिं सर्व

दुःखोपशान्तये' के अनुसार होलिका

दहन के बाद अगले दिन चैत्र कृष्ण

प्रतिपदा में वसंतोत्सव-रंगोत्सव

मनाने का निर्देश है। अतः 25 मार्च

को होली का उत्सव मनाया जाएगा।



काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय के अनुसार शास्त्रानुसार होलिका दहन में पूर्णिमा पूर्वविद्धा व प्रदोष व्यापिनी ही ग्राह्य होती है। प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा में भद्रा रहित रात्रि काल प्राप्त होने पर होलिका दहन का विधान बताया गया है, जो 24 की रात ही मिल रही है। 25 मार्च को सुबह प्रतिपदा तिथि लग जा रही है। इसलिए पूरे देश में 25 मार्च को ही रंगोत्सव, वसंतोत्सव या होली मनाई जाएगी। काशी की परंपरा में भी चतुःषष्ठी देवी की यात्रा करते हुए परस्पर हास- परिहास कर रंग-गुलाल-अबीर आदि के साथ होलिका दहन के दूसरे दिन होली मनाई जाती है।

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