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Friday, April 26, 2024

दिवंगत शिक्षक की निधि हड़पने में डीआईओएस समेत आठ पर केस

 प्रयागराज, । इंटर कॉलेज में सहायक अध्यापक के पद पर एक शिक्षक की मौत के बाद सर्विस निधि की बंदरबाट का मामला सामने आया है। मृतक के पिता ने इस मामले में शिक्षक की पत्नी सुषमा, लिपिक रवि पटेल, अलोक गुप्ता पेंशन विभाग, डीआईओएस पीएन सिंह, प्रबंधक शिव जियावन इंटर कॉलेज लेड़ियारी रामकैलाश, हिंछलाल बाबू, देवराज भूर्तिया बाबू, वर्तमान प्रधानाचार्य शिव जियावन इंटर कॉलेज संतराज कनौजिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। कोतवाली पुलिस अदालत के आदेश पर धोखाधड़ी, कूटरचना, गबन, एससी-एसटी और जान से मारने की धमकी समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज कर जांच कर रही है।



कोरांव में भोगन गांव निवासी रघुनंदन ने तहरीर दी है कि उनका बेटा सुरेश कुमार शिव जियावन इंटर कॉलेज में 2010-2021 तक सहायक अध्यापक गणित के पद पर नियुक्त थे। इसके पहले वह कौशाम्बी के एक प्राथमिक विद्यालय में तैनात रहे। 2007 में उसकी शादी मेजा की सुषमा से हुई थी। 2010 में इंटर कॉलेज में गणित के सहायक अध्यापक पद पर चयनित हुए। पत्नी की आदतों से परेशान होकर 2011 में तलाक की अर्जी दी थी। वह अक्सर बीमार रहते थे। ऐसी हालत में सर्विस बुक में पिता को नामिनी रखा था। सुरेश ने शपथ पत्र में लिखा था कि मेरे न रहने पर मेरे माता-पिता ही जो मेरे सर्विस निधि का पैसा बनता है, उसे नामिनी के आधार पर मेरे पिता ही उत्तराधिकारी होंगे। 17 जुलाई 2020 को सुरेश की मौत हो गई। आरोप है कि कॉलेज के बाबू और जिले में तैनात लिपिक रवि पटेल, आलोक गुप्ता पेंशन विभाग ने पैसे के लालच में सुषमा को फर्जी नामिनी दर्ज किया। इतना ही नहीं रघुनंदन और उनकी पत्नी श्यामकली के नाम से फर्जी शपथ पत्र दिया गया। आरोप है कि इस पूरे काम में डीआईओएस पीएन सिंह ने पूरा सहयोग किया। 24 अप्रैल 2023 को डीआईओएस ने दोनों पक्षों को नोटिस भेजकर बुलाया और फैसला किया कि पेंशन व मृतक बीमा का पूरा पैसा नामिनी रघुनंदन को दिया जाए। भरण पोषण के लिए बढ़ते क्रम में वेतन का एक तिहाई भाग हमेशा दिया जाए। इस संबंध में दोनों पक्षों से 15 मई को शपथ पत्र लिया गया। सुषमा की नियुक्ति के बाद अगस्त में रघुनंदन ने उससे पूछा कि पेंशन व मृतक बीमा का पैसा कब आएगा। इस पर पता चला कि समझौते के पहले ही फरवरी 2023 में पैसा आया था। उसी पैसे लेनदेन कर नियुक्ति हुई है। इस पर रघुनंदन ने शिक्षा विभाग और अन्य अधिकारियों से मामले की शिकायत की। आरोप है कि संस्कृत विषय की जगह न होने पर भी सुषमा की गलत ढंग से नियुक्ति कर भ्रष्टाचार किया गया है। जब रघुनंदन को कहीं से इंसाफ नहीं मिला तो अदालत से गुहार लगाई। तब जाकर मामले की रिपोर्ट दर्ज की गई।

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