बरेली। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में 30 छात्रों के लिए एक शिक्षक होना जरूरी है। इसके विपरीत नगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। यहां 25 विद्यालयों में सिर्फ एक शिक्षक की तैनाती है। इनमें से कई बीएलओ ड्यूटी भी निभा रहे हैं। विभाग की ओर से पोर्टल पर डाटा अपलोड करने का भी दबाव है। ऐसे में प्रभारी परेशान हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिए उनको समय ही नहीं मिल पाता।
विद्यालयों में तैनात एकल शिक्षकों का कहना है कि अकेले कार्य करना चुनौतीपूर्ण होता है। सभी कक्षाओं का अलग-अलग पाठ्यक्रम है। हर कक्षा के लिए शिक्षक की तैनाती होनी चाहिए। कई विद्यालय ऐसे भी हैं, जहां 10 वर्षों से एक ही शिक्षक जिम्मेदारी निभा रहे हैं। शिक्षकों की तैनाती नहीं होने पर स्कूल को दूसरे विद्यालय से अटैच कर दिया जाता है। ऐसी दशा में निपुण लक्ष्य भी प्रभावित हो रहे हैं। अव्यवस्थाओं की मार झेल रहे ये विद्यालय सिर्फ मिड-डे मील वितरण तक सीमित रह गए हैं।
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केस- 01
रामपुर रोड स्थित रोठाह नवदिया के विद्यालय में 150 विद्यार्थी पढ़ते हैं। यहां वर्ष 2013 से सिर्फ प्रभारी प्रधानाध्यापक मीनाक्षी सक्सेना की तैनाती है। वह भी इन दिनों विद्यालय में बनाए गए बूथ की व्यवस्थाओं में लगी हुई हैं। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
केस-02
कंपोजिट विद्यालय खड़ौआ प्रथम में मात्र एक शिक्षक उमेश कुमार तैनात हैं। वह दूसरे विद्यालय में प्रधानाध्यापक हैं। फिलहाल, यहां से उनको संबद्ध किया गया है। यहां कक्षा एक से आठ तक 90 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। साथ ही वह बीएलओ सुपरवाइजर की भूमिका भी निभा रहे हैं। जिस दिन वह किसी बैठक आदि में जाते हैं, स्कूल बंद करना पड़ता है।
केस-03
प्राथमिक विद्यालय खना गौटिया सीबीगंज में 83 बच्चे पंजीकृत हैं। वर्ष 2018 में संबद्धीकरण कर संदीप वर्मा को प्रभारी प्रधानाध्यापक बनाया गया था। इस समय पोर्टल पर डाटा अपलोड करने का दबाव होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
केस-04
मॉडल प्राथमिक विद्यालय हरुनगला द्वितीय में 140 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। यहां वर्ष 2017 से बतौर प्रधानाध्यापक जाकिर हुसैन सेवाएं दे रहे हैं। उनका स्कूल अंग्रेजी माध्यम है, लेकिन शिक्षक न होने से प्रत्येक कक्षा के बच्चे को विषय संबंधी पढ़ाई कराना चुनौतीपूर्ण साबित होता है।

