389 विद्यार्थी बेहोश, आठ लोगों की मौत सीएम के आदेश पर आठ तक स्कूल बंद
भीषण गमी और भयंकर लू की चपेट से राज्य में आपदा की स्थिति बन गयी है. बुधवार को गर्मी के कारण राज्यभर में 389 स्कूली बच्चे समेत कुछ शिक्षक भी बेहोश हो गये. वहीं, चुनाव ड्यूटी में गये एक एएसआइ और एक किसान सहित आठ लोगों की जान चली गयी. जिनकी मौत हुई है, उनमें से दो लोगों ने भीषण गर्मी के कारण सड़क पर चलते-चलते दम तोड़ दिया. मौसम विभाग के अनुसार पिछले 128 साल के इतिहास में गया में पहली बार इतनी भीषण गर्मी पड़ी है.
इधर, प्रदेश में बढ़ती गर्मी को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने सभी सरकारी और निजी स्कूलों के साथ-साथ आंगनबाड़ी केंद्रों और कोचिंग संस्थानों को 30 मई से आठ जून तक बंद करने का निर्देश दिया है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा को दिये गये निर्देश में कहा गया है कि आवश्यकता अनुसार वर्तमान स्थिति को देखते हुए स्कूलों को बंद करने के संबंध में समुचित कार्रवाई सुनिश्चित करें, ताकि स्कूली बच्चों का स्वास्थ्य प्रभावित नहीं हो. मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को यह भी निर्देश दिया है कि वे क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की बैठक बुलाकर वर्तमान हालात में अन्य जरूरी कार्रवाई सुनिश्चित करें. इससे पहले राज्यपाल ने भी मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए स्कूलों को बंद कराएं, इधर, आइएमडी के मुताबिक अगले दो दिन तक इसी तरह का तापमान बने रहने का पूर्वानुमान है.
डीइओ चाहें, तो शिक्षकों को आना होगा स्कूल : विभाग
मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव और समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव के साथ ही सभी जिलाधिकारियों को अलग-अलग पत्र लिखकर निर्देश जारी किया है. मुख्य सचिव ने कहा है कि भीषण गर्मी को देखते हुए क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप ने सभी सरकारी और कोचिंग संस्थान सहित सभी निजी विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्रों में 30 मई से आठ जून तक शिक्षण कार्य बंद रखने का निर्णय लिया है. इधर, शिक्षा विभाग ने बुधवार को हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों से कहा है कि जो प्रशासनिक काम शेष रह गये हैं, उन्हें पूरा कराने के लिए जरूरी निर्णय ले सकते हैं. माना जा रहा है कि स्कूल बंद होने की स्थिति में शिक्षकों की छुट्टी को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी कोई भी निर्णय ले सकते हैं

