मनमानी : इलेक्शन के बाद बीईओ साहब अक्सर रहते हैं कार्यालय से नदारद
हैदरगढ़ (बाराबंकी) स्वरूप संवाददाता। सरकार के निर्देश को धता बताते हुए शिक्षा विभाग के खंड शिक्षा अधिकारी लगातार अपने कार्यालय से नदारद रहते हैं जबकि सरकार का हुक्म है कि सभी अधिकारी अपने कार्यालय में 10 से 12 जनता दर्शन हेतु अवश्य उपस्थित रहे ऐसे में जनता अपने काम के लिए चक्कर काटती है लेकिन अधिकारियों के मनमर्जी हमेशा शिक्षा विभाग पर हावी रही है।
बताते चले की हैदरगढ़ में खंड शिक्षा अधिकारी के पद पर तैनात सुनील कुमार गौड़ करीब 1 साल से यहां तैनात है लेकिन काफी दिनों से अपनी कार्यशैली को लेकर के चर्चा में है जिसकी वजह से कई शिक्षकों ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि खंड शिक्षा अधिकारी गुपचुप तरीके से अपने कारनामे को अंजाम देने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखते हैं चाहे वह शिक्षकों के सीसीएल और मेडिकल हो या फिर अवकाश के आवेदन हो जो
निर्धारित समय में निस्तारित नहीं होते है साथ ही कई शिक्षकों पर विशेष वरदहस्त को लेकर के कार्यालय में अवैध रूप से संबद्ध कर रखा है। जिसकी शिकायत होने के बाद भी बीते दिनों महानिदेशक स्कूली शिक्षा द्वारा अनुदेशकों को कार्यालय में संबद्ध किए जाने को लेकर के कठोर आपत्ति जताने के बाद कार्यालय में संबद्ध न किए जाने को लेकर आदेश जारी किए जाने के बाद भी कार्यालय में अनुदेशक पूर्व माध्यमिक विद्यालय कमेला सुनील कुमार श्रीवास्तव को अटैच किए जाने को लेकर के प्राथमिक शिक्षक संघ के ब्लॉक अध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप सिंह द्वारा इस पर कठोर आपत्ति जताई गई और बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी शिकायत हेल्पलाइन नंबर विद्या समीक्षा केंद्र पर भी फोन करके बीते दिनों इसकी शिकायत की गई लेकिन अधिकारियों पर इसको लेकर के कोई भी
जूं तक नहीं रेंगी जिसकी वजह से सुनील कुमार श्रीवास्तव अवैध रूप से अभी भी कार्यालय में खंड शिक्षा अधिकारी के सरकारी काम को अंजाम दे रहे हैं।
ब्लॉक अध्यक्ष का कहना है कि इसकी पुष्टि अगर अधिकारी संज्ञान ले तो सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से भी कभी भी देख सकते हैं लेकिन बीते दिनों कई बार शिकायत होने के बाद भी अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। बताते चले कि इसको लेकर के कई भाजपा नेताओं ने भी जिलाधिकारी से लेकर बीएसए को फोन द्वारा मामले की सूचना दी लेकिन एक सप्ताह से अधिक हो जाने के बाद भी आजतक कोई भी कार्रवाई इसको लेकर नहीं की गई है ऐसे में साफ लगता है कि अधिकारियों की तानाशाही सरकार के आदेश पर हावी है और जनता अधिकारियों के इंतजार में रोज कार्यालय के चक्कर लगाती रहती है।

