पटना, हिन्दुस्तान ब्यूरो। शिक्षा विभाग ने राज्य के सरकारी विद्यालयों में सबमर्सिबल बोरिंग की जांच करने का फैसला लिया है। जांच की जिम्मेदारी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) को सौंपी गई है। शिक्षा विभाग ने पीएचईडी से 15 दिनों में जांच रिपोर्ट देने का आग्रह किया है। यह जांच रैंडम होगी। इसके लिए विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने पीएचईडी को पत्र भेजा है।
मालूम हो कि पिछले छह-सात महीने में अभियान चलाकर सरकारी स्कूलों में सबमर्सिबल बोरिंग कराई गयी ताकि, बच्चों को स्वच्छ जल नल उपलब्ध हो सके। लेकिन, विभिन्न कारणों से हर जिले के कई स्कूलों में सबमर्सिबल बारिंग का फायदा बच्चों को नहीं मिल रहा था। आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान' ने राज्यभर के स्कूलों की पड़ताल कर इस विषय पर 13 जुलाई से लगातार 12 दिनों तक जमीनी हकीकत आधारित खबरें प्रकाशित की थीं।
औसतन हर स्कूल में ढाई लाख रुपए खर्च कर सबमर्सिबल बोरिंग करायी गई थी। सबमर्सिबल के साथ ही स्कूलों में पाइप बिछाने, छत पर टंकी बैठाने, बिजली कनेक्शन देने आदि कार्य करने थे। लेकिन, कई स्कूलों में स्थिति यह है कि बोरिंग तो कर दी गयी, पर वहां नल ही नहीं लगे हैं। ना ही पाइप बिछाई गई है। कई जगहों पर सबमर्सिबल बोरिंग की जा चुकी है, पर स्कूलों की छत पर टंकी
नहीं लगी है, जिसके माध्यम से पानी की आपूर्ति नलों में की जा सके। कई जगह सबमर्सिबल बोरिंग है पर वह कारगर नहीं है। बहरहाल, शिक्षा विभाग के पदाधिकारी बताते हैं कि पीएचईडी के पास उक्त विषय के विशेषज्ञ मौजूद हैं। हर जिले, प्रखंड के साथ-साथ पंचायत स्तर तक पीएचईडी के अभियंता कार्यरत हैं, जिनकी मुख्य जिम्मेदारी ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल पहुंचाना है। ऐसे में इनके द्वारा स्कूलों में बोरिंग की तकनीकी जांच बेहतर ढंग से हो सकेगी। पीएचईडी के विशेषज्ञ यह देखेंगे कि सबमर्सिबल बोरिंग तय मानक के अनुरूप हुई है या नहीं।