फर्जी लेटर वायरल कर शिक्षा अधिकारी चुप हो गए हैं। फर्जी लेटर मामले की अब तक प्राथमिकी नहीं कराई गई है। विभागीय सुस्ती पर सवाल उठने लगे हैं। शिक्षा विभाग में बेंच डेस्क, सबमर्सिबल, प्री फैब, हाउसकीपिंग व अन्य योजनाओं में गड़बड़ी हुई है। पंचायत राज मंत्री ने गड़बड़ी की बात कही तो जिला प्रशासन ने जांच टीम गठित कर दी है। फर्जी लेटर बेंच डेस्क एजेंसी से संबंधित था। अब तक प्राथमिकी नहीं फर्जी लेटर की प्राथमिकी अब तक दर्ज नहीं हो सकी है। जबकि शिक्षा विभाग के अधिकारी थाने को पत्र भेजे जाने का दावा कर रहे हैं। कह रहे, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय इस पत्र को लेकर गंभीर है। वहीं
• अब तक न तो कोई प्राथमिकी कराई और न दिया सनहा शिक्षा विभाग की भूमिका पर अब उठने लगे हैं सवाल
दूसरी ओर विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठने लगा है। शिक्षकों के बीच चर्चा का विषय है कि कहीं यह विभाग की कारस्तानी तो नहीं है? इस तरह के पत्र जारी कर अपने को बचाना चाह रहे हों। इन सब कारणों से फर्जी लेटर की प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई जा रही है। साइबर सेल में प्राथमिकी होने के बाद तो पूरे खेल से पर्दा हट जाएगा।
यह था पूरा मामला जिला शिक्षा अधिकारी के नाम से फर्जी पत्र प्रसारित करने का मामला सामने आया है। इसमें पांच एजेंसियों का नाम जारी कर उनसे बेंच डेस्क
सभी स्कूलों को दिया गया था। जब इस पत्र को लेकर एक एजेंट जिला शिक्षा विभाग के कार्यालय में पहुंचा तो उसकी जांच की गई। सोमवार को मो. रसूल नामक व्यक्ति ने डीईओ को आदेश की कापी उपलब्ध कराते हुए इसकी जानकारी मांगी। जांच के बाद यह बात सामने आई है कि डीईओ के स्तर से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। फर्जी पत्र में गायघाट, कांटी, कुढ़नी, मड़वन, साहेबगंज, औराई व कटरा के लिए बेंच -डेस्क के लिए एजेंसी का नाम अधिकृत होने की बात कही गई है। इस बारे में जिला शिक्षा अधिकारी अजय कुमार सिंह ने बताया कि फर्जी लेटर मामले की सूचना थाने को दी जा चुकी है।