बिहारशरीफ, कार्यालय संवाददाता। बिना नौकरी चुनाव व परीक्षा ड्यूटी मामले की 11 दिन बाद भी जांच पूरी नहीं की जा सकी है। जबकि, तीन सदस्यीय टीम को हफ्तेभर में जांच रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया था।
बुधवार को डीईओ राज कुमार ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। इसमें महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगा है। तह तक की तहकीकात की जाती है, तो बड़े रैकेट का खुलासा हो सकेगा। वहीं दूसरी ओर, इस्लामपुर विधायक राकेश रौशन ने बताया कि अधिकारी मामले को किसी तरह दबाना चाह रहे हैं। वे इसकी शिकायत गुरुवार को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ से करेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो विधान सभा में फिर से आवाज उठायी जाएगी
विभागीय सूत्र बताते हैं कि मामले की बारीकी जांच के बाद कई अधिकारियों व कर्मियों पर कार्रवाई की गाज गिरनी तय है। इनकी करतूतों का पर्दाफाश करने के लिए डीईओ राज कुमार ने 19 जुलाई को तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया था। टीम में स्थापना डीपीओ आनंद शंकर, समग्र शिक्षा डीपीओ कविता
कुमारी व इस्लामपुर बीईओ के प्रभार में रहे डीपीओ राजन गिरि को शामिल किया गया है। संबंधित अधिकारियों को डीईओ ने जांच के लिए सात दिन की मोहलत दी थी। कैसे हुआ खुलासाः मैट्रिक के वीक्षकों
की सूची के अध्ययन के दौरान बीईओ अहिल्या कुमारी ने गड़बड़ी पकड़ी। पता चला कि 13 लोगों को जिन स्कूलों के शिक्षक बताये गये हैं, वे शिक्षक तो दूर, किसी भी सरकारी पद पर तैनात नहीं हैं। अब व विभाग के समक्ष यक्ष प्रश्न यह कि आखिर वे 13 लोग शिक्षक नहीं थे, तो उनके बदले चुनाव व एग्जाम में ड्यूटी कौन करता था। हालांकि, वीक्षकों की सूची में सबके नामों के सामने उनके मोबाइल नंबर भी अंकित थे।
आखिर कौन कर रहा था ड्यूटीः अब विभाग के समक्ष यक्ष प्रश्न यह कि आखिर वे 13 लोग शिक्षक नहीं थे, तो उनके बदले चुनाव व एग्जाम में ड्यूटी कौन करता था। हालांकि, वीक्षकों की सूची में
विभाग यह सहज ही पता कर सकता था कि वे कौन हैं। किसने उनके नाम सूची में डाले। इसके पीछे का असली मकसद क्या है।