टीईटी अनिवार्य पर शिक्षकों में असमंजस जारी, समाधान की कोशिशें तेज
लखनऊ/कानपुर। सुप्रीम कोर्ट द्वारा टीईटी (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) को सभी शिक्षकों के लिए अनिवार्य किए जाने के आदेश के बाद 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। आदेश के अनुसार, कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों को दो वर्ष के वर्ष के भीतर टीईटी पास करना होगा, अन्यथा उनकी सेवा समाप्त कर दी जाएगी। हालांकि, जिन शिक्षकों की सेवा अवधि केवल पाँच वर्ष शेष है, उन्हें परीक्षा से छूट मिलेगी, लेकिन पदोन्नति के लिए टीईटी पास करना उनके लिए भी जरूरी रहेगा।
यह आदेश उन शिक्षकों के लिए चुनौती बना है जिन्हें नियुक्ति के समय टीईटी अनिवार्य नहीं था। ऐसे कई शिक्षक अब उम्र और पाठ्यक्रम के दबाव के चलते परीक्षा को लेकर चिंतित हैं। मृतक आश्रित, इंटरमीडिएट पास, कम अंक प्रतिशत वाले, डीपीएड-बीपीएड डिग्रीधारी और आयु सीमा पार कर चुके कई शिक्षक तो आवेदन ही नहीं कर पाएंगे। शिक्षक संघ का मानना है कि यदि सरकार नियमों में संशोधन कर दे कोर्ट शिक्षकों की व्यवहारिक कठिनाइयों ध्यान में रखते हुए कोई राहत प्रदान करे, तो हजारों पुराने शिक्षकों की नौकरी सुरक्षित हो सकती है। आने वाले दिनों में इस विषय पर सरकार और संगठनों के बीच तेज होनेकी संभावना है।

