जिले के दो सौ से अधिक शिक्षकों पर लटकी तलवार, जा सकती है नौकरी
हाइकोर्ट के एक फैसले के बाद जिले के करीब दौ सौ शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडराने लगा है. शिक्षा विभाग ऐसे शिक्षकों की कुंडली तैयार करने में जुट गया है. ये वो शिक्षक हैं, जो अप्रशिक्षित होते हुए भी 31 मार्च, 2015 के बाद बहाल हुए हैं. हाइकोर्ट ने ऐसे शिक्षकों द्वारा दायर की गयी याचिका पर सुनवाई के बाद दिये फैसले में 31 मार्च, 2015 के बाद बहाल हुए अप्रशिक्षित शिक्षकों के नियोजन या नियुक्ति को अमान्य करार दिया है. हाइकोर्ट के इस फैसले के बाद 2015 के बाद बहाल हुए अप्रशिक्षित शिक्षकों में हडकंप मचा हुआ है. डीपीओ स्थापना मो जमालुद्दीन ने बीते 15 अप्रैल को एक पत्र जारी करते हुए सभी बीइओ को निर्देश दिया है कि 31मार्च, 2015 के बाद स्थानीय निकाय शिक्षक द्वारा नियुक्त सभी शिक्षकों का विवरण जल्द से जल्द कार्यालय को उपलब्ध कराएं,
31 मार्च, 2019 तक प्रशिक्षण नहीं लेने वाले शिक्षकों को करना था सेवामुक्त: केंद्र सरकार ने एक अप्रैल,
2010 को शिक्षा का अधिकार कानून लागू किया. बिहार में यह कानून 31 मार्च, 2015 को लागू हुआ. इसमें निर्देश था कि प्रशिक्षित शिक्षकों को ही सेवा में रखा जाये. शिक्षकों की अपील के बाद कोर्ट ने शिक्षकों को राहत देते हुए 31 मार्च, 2019 तक प्रशिक्षण पूरा कर लेने का आदेश दिया. इसके बाद इसी मामले को लेकर अताउर रहमान न अन्य बनाम सरकार के केस की सुनवाई में कोर्ट ने इस अवधि के बाद भी प्रशिक्षण पूरा नहीं करने वाले शिक्षकों को सेवामुक्त करने का आदेश दिया. विभाग ने ऐसे शिक्षकों को सेवा मुक्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी, जिसमें जिले के भी 62 शिक्षक शामिल थे.मामला कोर्ट में होने के बावजूद भी की गयी बहाली: अप्रशिक्षित शिक्षकों
को सेवा मुक्त करने का मामला 2015 से ही कोर्ट में था. इसी बीच राज्य भर में हजारों की संख्या में अप्रशिक्षित शिक्षकों की बहाली की गयी. गोपालगंज में भी 200 से अधिक अप्रिशिक्षित शिक्षक बहाल हुए, उधर हाइकोर्ट की ओर से शिक्षकों को सेवामुक्त करने के फैसले के बाद ये शिक्षक डबल बेंच में अपील किये. इस बेंच ने बीते 22 मार्च को फैसला सुनाया, जिसमें 2015 के बाद बहाल अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति को अमान्य बताया है. इसके बाद विभाग मुख्यालय की ओर से ऐसे शिक्षकों का विवरण मांगा गया है.

