BSA की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे बेसिक के बच्चे
अमृत विचार। प्रदेश सरकार की ओर से शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। खासतौर पर प्राथमिक शिक्षा को सुदृढ़ बनाना प्राथमिकता में है। इसके चावजूद जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते सरकार की मंशा पूरी नहीं हो पा रही है। हाल यह है कि जिले में किसी और नाहीं चल्कि बीएसए की लापरवाही के चलते नौनिहालों को डीबीटी का लाभ नहीं मिल पा रहा है। विद्यालय खुलने पर ड्रेस, बैग, जूता-मोजा समेत आदि के लिए उन्हें इंतजार करना पड़ेगा।
जिले में 2299 प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालय है। प्रदेश सरकार की ओर से बच्चों को विद्यालय आने से पहले ड्रेस, जूता-मोजा, बैग आदि खरीद डीबीटी के माध्यम से अभिभावकों के खाते में 1200 रुपये भेजा जाता है। इसके तहत जिले स्तर पर बीएसए का अप्रूवल होना जरूरी होता है। जिले के आला अधिकारी बीएसए के कारनामे इस प्रकार से हैं कि चाहे सरकारी स्कूलों के बच्चों को मिलने वाली सहायता राशि डोचीटी के माध्यम से उनके अभिभावकों को पहुंचना हो और यह प्राइवेट स्कूल में गरीब और दुर्बल वर्ग के अभिभावकों के बच्चों के एडमिशन का मामला हो। विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्राइवेट स्कूलों में आरटीई स्कीम का सही ढंग से एन संचालन हो पा रहा है और ना ही अभिभावकों को लाभ मिल पा रहा है। बीएसए की लचर कार्यशैली के कारण सरकारी
स्कूल के बच्चों और प्राइवेट स्कूल के बच्चों दोनों वर्ग के बच्चे शोषित और वंचित हैं। है लवर कार्यशैली का ही नतीजा कि प्रदेश में डीबीटी के माध्यम से अभिभावकों के खाते में 1200 रुपये भेजने में लापरवाही वाले बीएसए की सूची में बीएसए रायबरेली ने नौवां स्थान प्राप्त किया है।


