सर्टिफिकेट छोड़ शिक्षा विभाग से भागा फर्जी शिक्षक
पटना। फर्जी सर्टिफिकेट पर बहाल नियोजित शिक्षक शिक्षा विभाग से भाग खड़ा हुआ। पकड़े जाने के भय से वह इतनी तेजी से विकास भवन सचिवालय से बाहर निकलने वाले गेट की ओर भागा कि अधिकारी-कर्मचारी भी हक्का-बक्का रह गया। वह इतनी हड़बड़ी में था कि भागने से पहले अपना फर्जी सर्टिफिकेट भी साथ नहीं ले जा पाया। यह दृश्य शुक्रवार का है। दरअसल, सक्षमता परीक्षा में शामिल नियोजित शिक्षकों में से 1,151 नियोजित शिक्षक बीटीईटी, सीटीईटी, एसटीईटी के रौल नंबर के अनुसार डुप्लिकेट के रूप में चिन्हित किये गये थे।
उनमें अररिया के 38, अरवल के 30, औरंगाबाद के 24, बांका के 52, बेगूसराय के 39, भागलपुर के 33, भोजपुर के 37, बक्सर के 29, दरभंगा के 56, पूर्वी चंपारण के 20, गया के 56, गोपालगंज के 30, जमुई के 35, जहानाबाद के 51, कैमूर के पांच, कटिहार के 17, खगड़िया के 13, किशनगंज के 17, लखीसराय के 10, मधेपुरा के 28, मधुबनी के 36, मुंगेर के 29, मुजफ्फरपुर के 58, नालंदा के 40, नवादा के 79, पटना के 55, पूर्णिया के 35, रोहतास के 25, सहरसा के 18, समस्तीपुर के 53, सारण के 22, शेखपुरा के 28, शिवहर के पांच, सीतामढ़ी के 16, सिवान के 41, सुपौल के 12, वैशाली के 18 एवं पश्चिमी चंपारण जिले के 15 नियोजित शिक्षक थे। ऐसे सभी 1,151 नियोजित शिक्षक भौतिक सत्यापन के लिए शिक्षा विभाग में तलब किये गये थे।
भौतिक सत्यापन के लिए शिक्षा विभाग ने बजाप्ताशिड्यूल बनाया था। शिड्यूल के तहत शिक्षा विभाग के डॉ. मदन मोहन झा स्मृति सभागार में सात मार्च से शुरू हुआ। तय शिड्यूल के मुताबिक भौतिक सत्यापन का कार्य 22 मार्च तक चला। भौतिक सत्यापन में संदेह के घेरे में आने वाले नियोजित शिक्षकों के डॉक्यूमेंट जब्त किये गये। लेकिन, तकरीबन 420 नियोजित शिक्षक भौतिक सत्यापनके लिए नहीं आये। भौतिक सत्यापन में शामिल नहीं होने वाले संबंधित 420 नियोजित शिक्षकों को शिक्षा विभाग ने इस निर्देश के साथ एक और मौका देने का निर्णय लिया कि जांच समिति के समक्ष हाजिर नहीं होने वाले नियोजित शिक्षकों को फर्जी घोषित करने का निर्णय लिया जा सकता है। इसके लिए संबंधित नियोजित शिक्षक स्वयं जिम्मेदार होंगे। शिक्षा विभाग द्वारा तय शिड्यूल के तहत ऐसे नियोजित शिक्षकों से जुड़े मामले की जांच को जांच समिति बुधवार से ही बैठ रही है।
शुक्रवार को मामले की जांच का नेतृत्व कर रहे माध्यमिक शिक्षा के उप निदेशक अब्दुस सलाम अंसारी के समक्ष एक ही सिरियल नम्बर के दो सर्टिफिकेटधारी शिक्षक हाजिर हुए। उनमें एक ने जैसे ही देखा कि उसके सर्टिफिकेट का सिरियल नम्बर और दूसरे के सर्टिफिकेट का सिरियल नम्बर एक ही है, तो वह अपना सर्टिफिकेट वहीं छोड़ कर किसी को कोई मौका दिये बिना भाग खड़ा हुआ। जांच में भाग खड़े हुए शिक्षक का सर्टिफिकेट स्कैन किया हुआ फर्जी पाया गया। उसी सिरियल नम्बर का दूसरे शिक्षक का सर्टिफिकेट प्रथम दृष्टया असली पाया गया।