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Friday, April 19, 2024

UPSC Result: मां ने बेचे गहने... पिता और बहनों ने मजदूरी कर बनाया अधिकारी; पवन कुमार के संघर्ष की कहानी

 कहते हैं पंखों से नहीं हौसलों से उड़ान होती है। ऊंचागांव क्षेत्र के गांव रघुनाथपुर निवासी किसान मुकेश कुमार के बेटे पवन ने यह साकार कर दिया। गरीबी और अभावों भरी जिंदगी के बावजूद हौसला नहीं टूटा। यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में 239वीं रैंक हासिल कर सपने को सच कर दिखाया। 



पवन के सपने को साकार करने के लिए परिवार ने भी कड़ा संघर्ष किया। पढ़ाई में पैसे आड़े न आएं इसके लिए मां ने अपने गहने बेच दिए तो पिता और छोटी तीनों बहनों ने दूसरों के खेतों में मजदूरी की। पवन के पिता मुकेश कुमार के पास केवल चार बीघा जमीन है। पक्का घर भी नहीं है। 

एक कमरे के मकान और छप्पर में परिवार रहता है। बारिश में घर टपकता है। इन्हीं में रहकर पवन ने 12वीं तक की पढ़ाई की है। मुकेश बताते हैं कि बारिश में घर टपकता तो पवन का हौसला टूटने के बजाय और मजबूत हो जाता। वह कहता, पापा बस मुझे कुछ समय दे दो, सब कुछ बदल दूंगा। 

2017 में इंटरमीडिएट करने के बाद घर वाले चाहते थे कि पवन नौकरी करे। उसे सेना की तैयारी करने के लिए कहा, लेकिन पवन ने कुछ और ही सोच रखा था। पिता ने भी साथ दिया। कहा, जो तुम्हारा मन करे, वह करो। पूरा परिवार मदद करेगा। यह बताते हुए मुकेश कुमार की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा कि बेटे ने जो कहा वह कर दिखाया।

चार प्रतिशत ब्याज पर लिया कर्ज

पवन के परिवार में पिता मुकेश कुमार के अलावा उनकी मां सुमन देवी, बहन गोल्डी, सृष्टि और सोनिका हैं। गोल्डी ने बीए पास किया है और सृष्टि बीए की परीक्षा दे रही है। तीसरे नंबर की बहन सोनिका इंटरमीडिएट की छात्रा है। पिता ने बताया कि पवन ने इलाहाबाद से बीए की परीक्षा पास करने के बाद कहा कि वह अब सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी करेगा

उसकी तैयारी के लिए मां सुमन ने गहने बेच दिए। पवन को 3200 रुपये का सेकंड हैंड मोबाइल खरीदकर दिया। पढ़ाई में दिक्कत ने आए इसके लिए चार प्रतिशत की ब्याज पर कर्ज भी लिया। यही नहीं परिवार के पांचों सदस्यों ने खेतों में मजदूरी की।

नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास, सिलिंडर भी नहीं भरा पाते

पवन के पिता ने बताया कि छप्पर के घर में रहते हैं। प्रधानमंत्री आवासीय योजना के तहत मकान बनवाने के लिए आवेदन आवेदन किया लेकिन ग्राम सचिव और गांव के कुछ लोगों ने गड़बड़ी कर दी। उन्हें अपात्र बता दिया गया। कहा कि आपका मकान नहीं बन सकता है। आपके घर में एक कमरा बना हुआ है। माली हालत इतनी खराब है कि घर में गैस सिलिंडर है लेकिन उसे भरवाने के लिए पैसे नहीं हैं। पवन की मां सुमन चूल्हे पर ही रोटी बनाती हैं। घर में हैंडपंप तक खराब पड़ा हुआ है। सरकारी स्कूल के नल से पानी भरकर लाते हैं

पवन का युवाओं को संदेश...हौसले से मिलती है कामयाबी

पवन कुमार का युवाओं के लिए संदेश है कि अगर हौसला मजबूत हो और कुछ करने की सच्ची लगन हो तो सफलता अवश्य मिलती है। लक्ष्य निर्धारित कर उस पर डटे रहें। कभी असफलता का भी सामना करना पड़े तो निराश नहीं होना है। उन्हें तीसरी बार में सफलता मिली है।

पहले दो प्रयास में असफल रहने के बाद भी निराश नहीं हुए। इंटरव्यू में आत्मविश्वास का अहम रोल होता है। वह आठ से 10 घंटे तक पढ़ाई करते थे। प्री परीक्षा पास करने के बाद, मेन्स के लिए केवल दो महीने दिल्ली में कोचिंग की। उन्हें अधिकारी बनने की प्रेरणा पंचगाई जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाचार्य मनोज सोलंकी, शिक्षक संजय सोलंकी और मामा सोनू सोलंकी ने दी।


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